ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा का दामन थामने से मप्र के क्रिकेट में भी केसरिया लहर दौड़ने लगी है। मध्य प्रदेश क्रिकेट संगठन (एमपीसीए) में सिंधिया परिवार का सालों से दबदबा है।

उनके कई समर्थक कांग्रेस में भी थे और कुछ पदों पर भी थे। अब इनके बीच भी कांग्रेस से दूरी बनाने की होड़ शुरू हो चुकी है। इनमें प्रमुख नाम बीसीसीआई में एमपीसीए के प्रतिनिधि राजूसिंह चौहान और विधिक सलाहकार रहे प्रसून कनमड़ीकर जैसे नाम शामिल हैं।
एमपीसीए में सिंधिया के सबसे भरोसेमंद चौहान इंदौर शहर कांग्रेस के उपाध्यक्ष थे। उन्होंने अपना पद छोड़ने में देरी नहीं की। बीसीसीआई के पूर्व सचिव स्व. अनंत वागेश कनमड़ीकर के पोते और एमपीसीए के पूर्व सचिव मिलिंद के बेटे प्रसून ने भी शहर प्रोफेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। प्रोफेशनल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय बागड़िया के भी इस्तीफे की चर्चा है।
सिंधिया के फैसले के बाद कांग्रेस से दूरी बनाने वालों की सूची एमपीसीए में लगातार बढ़ रही है। हालांकि अभी किसी ने भाजपा की सदस्यता नहीं ली है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय द्वारा भले ही क्रिकेट की राजनीति से दूरी बना ली हो, लेकिन गुट वाली भावना अभी भी कायम है।
इंदौर संभागीय क्रिकेट संगठन (आईडीसीए) उन्हीं के गुट के पास है। बीते चुनाव में उनके विश्वस्त अमिताभ विजयवर्गीय को रोकने के लिए सिंधिया के साथ प्रदेश के मंत्री तुलसी सिलावट, राजूसिंह चौहान सहित कई कांग्रेसियों ने मोर्चा संभाला था।
प्रदेश के क्रिकेट में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के समर्थक भी हैं। जिस तरह कांग्रेस की सरकार में तीन क्षत्रपों के बीच खींचतान थी, अब प्रदेश के क्रिकेट में भी भाजपा के तीन क्षत्रप हो जाएंगे।
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