मध्यप्रदेश में भाजपा का नया अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। रणनीतिकारों की मानें तो प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव से पहले रायशुमारी का फैसला और उसकी बागडोर राम माधव जैसे वरिष्ठ नेता को दिए जाने से संकेत मिल रहे हैं कि इस पद को लेकर कहीं न कहीं कोई गंभीर मंथन संघ और भाजपा में चल रहा है। इसका आशय ये भी हो सकता है कि आम सहमति न बन पाने के कारण अब प्रदेश में आरएसएस ने मोर्चा संभाला है।
रायशुमारी के संभावित बिंदु
1. मौजूदा अध्यक्ष राकेश सिंह को ही एक मौका दिया जाए।
2. संघ किसी संघनिष्ठ कार्यकर्ता को प्रदेश की कमान सौंप मप्र भाजपा में नए युग की शुरुआत हो।
3.कोई गुट केदार शुक्ला जैसे नेता को खड़ा कर असहज स्थिति खड़ी न कर दे।
4. राकेश सिंह की राह में जो रोड़े आ रहे हों, उन्हें खत्म किया जाए।
ये हो सकते हैं संघनिष्ठ नेता
अरविंद भदौरिया : प्रदेश मंत्री, महामंत्री उपाध्यक्ष सहित संगठन के कई पदों पर काम कर चुके हैं।
वीडी शर्मा : प्रदेश महामंत्री होने के साथ ही अभा विद्यार्थी परिषद में संगठन की कमान संभाल चुके हैं।
अजय प्रताप सिंह : मप्र से राज्यसभा के सदस्य व विंध्य क्षेत्र के वरिष्ठ नेता हैं।
नहीं बन पा रही आम सहमति
केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव के लिए पर्यवेक्षक के तौर पर केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और अश्विनी चौबे को नियुक्त किया है। इसी बीच पार्टी ने संघ से भाजपा में महासचिव राम माधव और विजय सोनकर शास्त्री को रायशुमारी के लिए भेजने का फैसला कर दिया। इससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि नए प्रदेशाध्यक्ष को लेकर पार्टी में आम सहमति नहीं बन पा रही है। राम माधव का मप्र की राजनीति में कभी कोई दखल नहीं रहा है। यह पहला अवसर है, जब वे महत्वपूर्ण टास्क लेकर आ रहे हैं।
शिवराज ने कहा, दौड़ में नहीं हूं
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को प्रदेशाध्यक्ष पद दौड़ में शामिल होने के सवाल पर कहा कि ‘ये काल्पनिक प्रश्न है, मैं दूर-दूर तक दौड़ में नहीं हूं”। पर पार्टी सूत्र कहते हैं कि चौहान ने इस विषय पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर अपनी बात रख दी है।