मध्यप्रदेश में एक फिर कोरोना वायरस ने रफ्तार पकड़ ली है। दैनिक मामलों की संख्या में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। प्रदेश में बुधवार को कोरोना संक्रमण के 417 नए मामले सामने आए। हालत बिगड़ते देख सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महाशिवरात्रि पर्व के आयोजन को सीमित करने के निर्देश दिए हैं। इस बार महाकाल मंदिर में भी 25 हजार श्रद्धालुओं को ही प्रवेश मिल सकेगा। प्रदेश के अन्य बड़े मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की संख्या सीमित रखी जाएगी।
मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के 417 नए मामले आने के साथ ही प्रदेश में संक्रमितों का आंकड़ा 2,62,850 पहुंच गया है। 417 नए मामलों में से सबसे ज्यादा 156 इंदौर और 90 भोपाल में मिले। अभी 3097 मरीज भर्ती हैं, जिनमें से 1123 इंदौर में और 567 भोपाल में हैं। 18 से 24 फरवरी के बीच प्रदेश में 1980 नए केस मिले थे, जो 25 फरवरी से 3 मार्च के बीच 28 प्रतिशत बढ़कर 2537 हो गए। भोपाल में यह रफ्तार 24 प्रतिशत है। संक्रमण की तेजी ने सरकार को अलर्ट कर दिया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्थिति की समीक्षा कर सभी जिलों को निर्देश दिए कि सात दिन बाद महाशिवरात्रि पर्व है, इसलिए धार्मिक आयोजनों में लोगों की संख्या सीमित रखी जाए। उज्जैन में आमतौर पर महाशिवरात्रि पर्व पर एक लाख से अधिक श्रद्धालु जुटते हैं। वहीं इस साल अनुमानित संख्या 20 से 25 हजार तक रखी जा सकती है। बाकी बड़े मंदिरों में भी श्रद्धालु सीमित रखने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रदेश के सीहोर, सिंगरौली और बालाघाट में तेजी से कोरोना मरीज बढ़े हैं।यहां के क्राइसिस मैनेजमेंट समूह ने कर्फ्यू लगाने का सुझाव दिया था, जिसे फिलहाल सरकार ने टाल दिया है। सीहोर में न छात्रावास बंद होंगे, न ही कहीं कर्फ्यू लगेगा। एक हफ्ते तक यहां की स्थिति देखी जाएगी, उसके बाद शिवराज सरकार फैसला लेगी। बता दें कि बालाघाट में नाइट कर्फ्यू जारी है।
भोपाल में 7 दिन में 553 केस यानी औसतन हर दिन 78 नए केस आए हैं। जबकि हर दिन ठीक होने वालों का औसत सिर्फ 65 है। अच्छी बात ये है कि 16 फरवरी के बाद से किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई। अभी कोलार में सबसे ज्यादा 52 तो शाहपुरा में 41 संक्रमित हैं।
जनवरी में भोपाल में रिकवरी रेट 148.88 प्रतिशत था, जो फरवरी में 113.38 प्रतिशत हो गया। जीएमसी के पल्मोनरी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. लोकेंद्र दवे ने कहा कि पहले के मुकाबले अभी कांटेक्ट ट्रेसिंग कम हुई है। ऐसे में ए सिम्प्टोमेटिक मरीज कम मिल रहे हैं। संक्रमण के बाद इंफेक्शन बढ़ने पर मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। इसीलिए रेट घटा है।