मटके का शीतल जल करेगा पेट की जलन को दूर

गर्मियों के दिनों में हमे काफी हेल्थ प्रॉब्लम्स होती है इनमे से प्रमुख समस्या है पेट की जलन की. ऐसे में मिटटी का पानी का मटका आपकी समस्या को दूर कर सकता है. आयुर्वेद में मटके के पानी को शीतल, हल्का, स्वच्छ और अमृत के समान शुद्ध बताया गया है. यह प्राकृतिक जल का स्रोत है जो ऊष्मा से भरपूर होता है और शरीर की गतिशीलता बनाये रखने के साथ ही शीतलता भी प्रदान करता है. आइये जाने मटके के पानी की उपयोगिता के बारे में

1.इस पानी को पीने से थकान दूर होती है। इसे पीने से पेट में भारीपन की समस्या भी नहीं होती।

2. मटके की मिट्टी कीटाणुनाशक होती है जो पानी में से दूषित पदार्थो को साफ करने का काम करती है।

3 . सुबह के समय इस पानी के प्रयोग से दिल और आंखों की सेहत दुरूस्त रहती है।

4. रक्तबहने की स्थिति में मटके के पानी को चोट या घाव पर डालने से खून बहना बंद हो जाता है।

5. तली-भुनी चीजें खाने के बाद यह पानी न पिएं वर्ना खांसी हो सकती है।

6. जिन लोगों को अस्थमा की समस्या हो वे इस पानी का प्रयोग न करें क्योंकि इसकी तासीर काफी ठंडी होती है जिससे कफ या खांसी बढ़ती है। जुकाम, पसलियों में दर्द, पेट में आफरा बनने की स्थिति व शुरूआती बुखार के लक्षण होेने पर मटके का पानी न पिएं।

7. गला, भोजननली और पेट की जलन को दूर करने में मटके का पानी काफी उपयोगी होता है।

8. मटके का पानी रोजाना बदलें। लेकिन इसे साफ करने के लिए अंदर हाथ डालकर घिसे नहीं वर्ना इसके बारीक छिद्र बंद हो जाते हैं और पानी ठंडा नहीं हो पाता।

अपने घर के मटके को अपना गर्मियों को साथी बना लीजिये. मटके का शीतल जल पीजिये और स्वस्थ रहिये.

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