गर्भ में पल रहे शिशु की सौदेबाजी का अनूठा मामला सामने आया है। जबलपुर निवासी दंपती ने प्रदेश के रायगढ़ शहर में एक मजदूर परिवार से गर्भ में पल रहे शिशु का 80 हजार में सौदा किया था। महिला ने बेटी को जन्म दिया, जिसके बाद दंपती रकम चुकाकर उसे जबलपुर ले आए। सौदेबाजी में मध्यस्थता कराने वाली महिला व बेटी को जन्म देने वाली महिला के बीच हुए विवाद के बाद मामला सामने आया। चक्रधर नगर थाने में घटना की शिकायत की गई। पुलिस ने बताया कि मीता नामक महिला ने गर्भस्थ शिशु का सौदा कराया था।
पुलिस के अनुसार चक्रधर नगर थाना क्षेत्र निवासी महिला के तीन बच्चे पहले (दो बेटा और एक बेटी) से हैं। महिला घरों में काम करती है तथा पति मजदूरी कर किसी तरह बच्चों का भरण पोषण करता है। इस बीच महिला गर्भवती हो गई। जिसके बाद मीता नामक महिला ने उसे सलाह दी कि जबलपुर में उसके जान पहचान के लोग हैं। जो गर्भ में पल रहे संतान के बदले अच्छा खासा पैसा दे सकते हैं। बच्चों की परवरिश भी अच्छी तरह करेंगे। महिला उसकी बातों में आ गई। जिसके बाद जबलपुर निवासी दंपती रायगढ़ पहुंचे। मीता ने उन्हें मजदूर परिवार से मिलाया। जहां उनके बीच गर्भ में पल रहे शिशु का 80 हजार रुपये में सौदा हुआ। दंपती ने शर्त रखी कि वे बच्चे को तभी स्वीकार करेंगे जब वह बेटी होगी। सौदे के एक सप्ताह बाद ही महिला ने बेटी को जन्म दिया। तीन माह तक उसे अपने पास रखने के बाद उसने जबलपुर निवासी दंपती को बेटी सौंप दिया। कुछ समय बाद पड़ोसियों में महिला की नवजात बेटी को लेकर चर्चा होने लगी। इसी बीच बेटी को जन्म देने वाली महिला व मध्यस्थ मीता में किसी बात पर झगड़ा हो गया। इस मामले में जबलपुर के पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा का कहना है कि फिलहाल रायगढ़ पुलिस ने मामले में किसी तरह की मदद नहीं मांगी है।
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संवेदनशील प्रकरण होने के कारण इसकी गंभीरता से जांच की जा रही है। मध्यस्थता करने वाली महिला, बेटी को जन्म देने वाली महिला व जबलपुर निवासी दंपती के बयान के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।