एक्टर पवन सिंह ने भाजपा को धोखा दिया, पार्टी ने उनके दावे हवा कर दिए। बाकी, पिछले चुनाव में बिहार की अपनी 17 में से 17 सीटें जीतने वाली भाजपा ने बड़ा रिस्क नहीं लिया। एक मंत्री और दो सांसदों को बेटिकट किया, लेकिन जाति-वर्ग नहीं बदला।
बिहार की 40 में से 39 सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने इस बार उससे बेहतर रिजल्ट लाने के लक्ष्य को देखते हुए ज्यादा खतरा नहीं मोल लिया है। पहले जनता दल यूनाईटेड ने अपने मौजूदा सांसदों से ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की। अब भारतीय जनता पार्टी ने भी वही अपनाया। ‘अमर उजाला’ ने पहले ही बताया था कि सीटों पर प्रत्याशियों का नाम क्यों अटक रहा है। जैसे ही जदयू ने प्रत्याशियों की आज सुबह घोषणा की, यह भी साफ हो गया कि अब भाजपा के पास भी बहुत माथापच्ची की संभावना नहीं बची है। वही हुआ। सभी 17 सीटों पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा हुई। तीन जगह बदलाव हुआ, एक नया चेहरा जुड़ा। बक्सर से केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे को बदला गया है। उनके अलावा दो सांसदों का टिकट काटा गया है। शिवहर सीट भाजपा ने जदयू को देकर नवादा सीट लोक जनशक्ति पार्टी से ली थी। शिवहर से महिला सांसद थीं। इस बार की सूची में एक भी महिला नहीं। नई सीट नवादा में उसी जाति के चेहरे को मौका मिला। सिर्फ एक सासाराम सीट पर जाति बदली है, लेकिन वर्ग वही है। सबसे ज्यादा चर्चा भोजपुरी एक्टर पवन सिंह को लेकर थी, जिन्हें पहली सूची में जगह दी गई थी। उनके लिए बिहार में जगह नहीं बनाई गई।
भाजपा ने किसे दिया मौका, पहले यह देखें
भारतीय जनता पार्टी ने बिहार की सभी 40 सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित कर दिए। पश्चिम चंपारण से डॉ. संजय जायसवाल, पूर्वी चंपारण से राधामोहन सिंह, मधुनबी से अशोक कुमार यादव, अररिया से प्रदीप कुमार सिंह, दरभंगा से गोपालजी ठाकुर, मुजफ्फरपुर से राजभूषण निषाद, महाराजगंज से जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, सारण से राजीव प्रताप रूडी, उजियारपुर से नित्यानंद राय, बेगूसराय गिरिराज सिंह, पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद, पाटलिपुत्र से रामकृपाल यादव, आरा से आरके सिंह, बक्सर से मिथिलेश तिवारी, सासाराम से शिवेश राम, औरंगाबाद से सुशील कुमार सिंह और नवादा से विवेक ठाकुर को प्रत्याशी बनाया गया है।
यह जानें कि किससे मौका छीनकर किसे दिया
भाजपा ने उम्मीद के हिसाब से ही केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे को संसदीय चुनाव से मुक्त कर दिया है। उनकी उम्र को देखते हुए यह फैसला लिए जाने की संभावना पहले से थी। इस सीट पर एक रिटायर्ड अधिकारी के अलावा कई नाम चल रहे थे, लेकिन अंतिम तौर पर पुराने भाजपाई मिथिलेश तिवारी को मौका दिया गया। तिवारी को भाजपा में बिहार का अनुभव था, अब इन्हें लोकसभा में उतारना एक तरह से प्रयोग है। अश्विनी चौबे भी ब्राह्मण हैं और उनकी जगह आए मिथिलेश तिवारी भी इसी जाति से हैं। सासाराम सीट से मौजूदा सांसद छेदी पासवान का टिकट काट दिया गया। उनकी जगह इस आरक्षित सीट पर शिवेश राम को मौका मिला है। दोनों दलित वर्ग से हैं, क्योंकि सीट आरक्षित है।
एक और सांसद मुजफ्फरपुर के बदले जा रहे हैं। भाजपा सांसद अजय निषाद ने पिछले चुनाव में जिस प्रत्याशी राजभूषण चौधरी निषाद को हराया था, वही इस बार प्रत्याशी हैं। लोजपा से ली गई नवादा सीट पर भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर को जगह दी गई है। यहां से भूमिहार जाति के चंदन सिंह सांसद थे। विवेक ठाकुर भी भूमिहार हैं। बाकी 13 वही हैं, जो पहले से थे। भाजपा की पहली सूची में पवन सिंह को पश्चिम बंगाल के आसनसोल से मौका दिया गया था। उन्होंने उसे ठुकरा दिया था। वह बाद में आरा पर अटक गए थे, लेकिन भाजपा ने उनकी नहीं सुनी।