भोलेनाथ :सिर्फ क्रोध ही नहीं ख़ुशी में भी तांडव करते हैं

बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ हैं कि आखिर क्यों भोलेनाथ तांडव करते हैं? ऐसे में आज हम आपको इसी सवाल का जवाब बताने आए हैं. जी हाँ, आज हम आपको इसके पीछे की वह कथा बताएंगे जो बहुत कम लोग जानते हैं. कहते हैं महादेव जब क्रोध में होते हैं वे तांडव करना शुरू कर देते हैं और उनके तांडव के चलते सृष्टि का भी विना’श हो सकता है, लेकिन तांडव सिर्फ क्रोध में नहीं किया जाता बल्कि खुशी के मौकों पर भी भोलेनाथ तांडव करते हैं. जी हाँ, तांडव के कई स्वरूप होते हैं और इससे जुड़ी अनेक कथाएं हैं जो आज हम आपको बताएंगे.

कथा – एक बार माता सती भगवान शिव के साथ अपने पिता दक्ष द्वारा आयोजित हवन में हिस्सा लेने आई थीं. वहां भोलेनाथ का अपमान होता देख, माता सती ने अ’ग्नि में कूदकर आ’त्मदा’ह कर लिया. इस घटना से महादेव इतने क्रोधित हो गए कि उन्होंने रुद्र तांडव शुरू कर दिया. उस तांडव के चलते पूरी सृष्टि पर प्र’लय जैसी परिस्थिति उत्पन्न हो गई.वहीं दूसरी एक और कहानी प्रचलित है जिसमें कहा गया है कि- एक बार रावण ने भगवान शिव से मिलने के लिए लंका से कैलाश की ओर रूख किया. वे पूरे रास्ते भोलेनाथ को याद करते रहे और उनके गुणगान गाते रहे. परंतु ये वो समय था जब महादेव अपने ध्यान में मग्न थे जिसके चलते उन्हें इस बात का अहसास ही नहीं हुआ कि उनका परमभक्त उनकी प्रतीक्षा कर रहा था. रावण इस बात से आहत हो गया और उसने पूरा कैलाश पर्वत अपने हाथों से उठा लिया.

इस हलचल के चलते महादेव का ध्यान भंग हो गया और उन्होंने क्रोध में आकर अपना पंजा कैलाश पर्वत के ऊपर रख दिया. अब रावण का हाथ उस पर्वत के नीचे दब गया और वो दर्द में तड़पने लगा. उसे उसकी गलती का अहसास हुआ और उसका घमंड टूट गया. अब भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए रावण ने शिव तांडव स्त्रोत गाना शुरू कर दिया. इस संगीत के माध्यम से महादेव की महानता का बखान किया गया है. अपने लिए इतना खूबसूरत संगीत सुन महादेव रावण से प्रसन्न हो गए और उन्होंने अपना पंजा पहाड़ के ऊपर से हटा लिया. इसलिए लंकेश रावण को शिव तांडव का रचयिता कहा जाता है.

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