राजधानी के निशातपुरा करोंद स्थित एक निजी मल्टी स्पेशिएलिटी सेंटर में ऑक्सीजन का सिलेंडर खत्म हो जाने से कोरोना संक्रमित महिला की मौत का मामला सामने आया है। ऑक्सीजन की कमी के चलते उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। महिला के भाई ने आरोप लगाया है कि यदि ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति होती तो उनकी बहन की मौत नहीं होती। अस्पताल प्रबंधन ने आरोप को निराधार बताया।
गौरतलब है कि अक्सीजन संकट का सामना कर रहे मध्य प्रदेश को अब केंद्र सरकार ने उम्मीद दी थी। राज्य में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रदेश में प्रत्येक दिन 50 टन ऑक्सीजन देने का फैसला लिया है। इसकी जानकरी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों दी थी।
शिवराज सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहा था शुक्रिया
शिवराज सिंह ने कहा, ‘मेरे अनुरोध पर आज भारत सरकार प्रत्येक दिन राज्य में 5 टन ऑक्सीजन सप्लाई करने पर सहमत हो गई है’। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री पीय़ूष गोयल का धन्यवाद अदा किया है कि उन्होंने कोरोना संकट के समय में राज्य का सहयोग किया।
महाराष्ट्र ने मध्य प्रदेश की ऑक्सीजन सप्लाई पर लगाई थी रोक
बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने मध्य प्रदेश में अपने यहां से ऑक्सीजन की आपूर्ति पर रोक लगा थी। इस निर्णय के बाद मध्य प्रदेश के लिए मुश्किलें बढ़ गई थी क्योंकि मध्य प्रदेश में महाराष्ट्र के प्लांटों से रोजाना करीब 130 टन ऑक्सीजन सप्लाई होती है। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संबंध में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे से बातचीत की थी।
कोरोना महामारी के बीच महाराष्ट्र सरकार द्वारा ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद किए जाने के बाद वैकल्पिक इंतजाम के लिए मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को उच्च स्तरीय बैठक की थी। मप्र सरकार ने गुजरात और उत्तर प्रदेश से 20 टन प्रतिदिन ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने की व्यवस्था करने की भी जानकारी साझा की थी।