पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इस बात का बेहद मलाल है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते-बनते रह गई। हुड्डा ने खुले दिल से स्वीकार किया कि संगठन की कमी और टिकट वितरण में जिताऊ उम्मीदवारों की अनदेखी के कारण कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी। पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने नए सरकारी आवास में पत्रकारों से बातचीत के दौरान माना कि सात से आठ सीटें ऐसी हैं, जिन पर जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिल पाए। यदि यह टिकट मिल जाते तो कांग्रेस की सीटें बढ़ जाती और इतनी ही सीटें भाजपा व जजपा की होती। लिहाजा राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती।
इन सात सीटों के बारे में पूछने पर हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान को सूचित कर दिया गया है। किसकी वजह से जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिले? इस सवाल के जवाब में हुड्डा ने कहा कि टिकट वितरण का कोई एक पहलू नहीं होता। जो उम्मीदवार बार-बार चुनाव हार गए, लेकिन यदि उन्हें टिकट मिल गया होता तो वह चुनाव जीतने की स्थिति में होते। समीकरण, माहौल और पार्टी पालिसी को देखकर टिकट तय होते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने संगठन की कमी को भी सत्ता से कांग्रेस की दूरी को बड़ी वजह बताया है। उन्होंने कहा कि यदि संगठन मजबूत होता और कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व में समय से बदलाव कर लिया जाता तो भाजपा विपक्ष में और कांग्रेस सत्ता में होती। राज्यसभा में जाने से जुड़े सवाल पर हुड्डा ने कहा कि बीरेंद्र सिंह अभी राज्यसभा सदस्य हैं। उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है, इसलिए हरियाणा में दो सीटें खाली होंगी। एक सीट कांग्रेस की है, जिस पर कांग्रेस हाईकमान जिसे चाहेगा, वह राज्यसभा पहुंचेगा।
दिशाहीन गठबंधन सरकार को नहीं प्रदेश की चिंता
हुड्डा का मानना है कि अभी तक भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार ने कामकाज शुरू नहीं किया है। राज्य का कोई ऐसा विभाग नहीं, जिसमें भ्रष्टाचार नहीं हो रहा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल भले ही भ्रष्टाचार कम होने का दावा करते रहें, लेकिन असलियत यह है कि भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच चुका और आम लोगों को अपने काम कराने में दिक्कतें आ रही है। हुड्डा ने कहा कि भाजपा व जजपा गठबंधन सरकार अभी तक अपना न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय नहीं कर पाए। इससे पता चलता है कि इस दिशाहीन गठबंधन की सरकार को प्रदेश की कितनी चिंता है।
बुढ़ापा पेंशन बढ़ाने का फामरूला सार्वजनिक करे सरकार
पूर्व सीएम ने भाजपा-जजपा गठबंधन को घोटालों की सरकार बताते हुए कहा कि खनन व धान घोटालों की सीबीआइ जांच से दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो जाएगा। दाल में काल है और किसान को सरकार न्याय नहीं देना चाहती, इसी वजह से धान घोटाले की जांच नहीं कराई जा रही। उन्होंने गन्ने का रेट नहीं बढ़ाए जाने पर सरकार की आलोचना की है। हुड्डा ने राज्य में बुढ़ापा पेंशन बढ़ाने के फामरूले पर सवाल उठाते हुए कहा कि गठबंधन की सरकार को इस बारे में स्पष्ट करना चाहिए कि पेंशन कब, कैसे और किस फामरूले से कितनी बढ़ेगी।