‘ग्लोबल टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक ये जवान पहले पीएपी का हिस्सा थे और इसका प्रबंधन इंस्टीट्यूट ऑफ स्टेट काउंसिल द्वारा होता था। अब इसे सिस्टम से पूरी तरह से हटा दिया गया है, जिससे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और दूसरे राष्ट्रीय सशस्त्र बल पूरी तरह से पार्टी के नियंत्रण में आ गए हैं।
पीएलए द्वारा प्रकाशित एक लेख में बुधवार को इससे संबंधित जानकारी दी गई। चीन के सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि नागरिक मामलों से संबंधित सशस्त्र पुलिस फोर्स के हटने से कमांड की चेन में जटिलता खत्म हो जाएगी। इसके बाद अब 3,488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) समेत अन्य बॉर्डर ट्रूप्स सीधे तौर पर चीनी सेना पीएलए के अधीन आ जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि पीएलए पूरी तरह से राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व वाले केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के तहत काम करती है और चीन के दोबारा आजीवन राष्ट्रपति बनने से उनकी ताकत बढ़ी है।
तटरक्षक बल समेत कई सेवाओं में हुए बदलाव
नए आदेशों में चीन के तटरक्षक दल भी शामिल हैं जिनके जहाज अक्सर पूर्वी-चीन सागर में जापान के विवादित द्वीपों के पास पहुंचते हैं। ये तटरक्षक दल अब तक सरकारी समुद्री प्रशासन के नेतृत्व में काम करते थे लेकिन अब ये भी सशस्त्र पुलिस बलों के रूप में अपनी सेवाएं शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं।
इसी तरह सोना, वानिकी और जलविद्युत के क्षेत्र में सेवाएं देने वाली हथियारबंद पुलिस पहले नागरिक-संबंधी ड्यूटी करती थी, लेकिन उसकी सेवाएं अब सरकारी संस्थाओं में स्थानांतरित किया जा चुकी हैं।