राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत का कहना है कि देश की जनसंख्या संतुलित होनी चाहिए। उन्होंने देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की वकालत की। साथ ही यह भी कहा कि कानून ऐसा बनना चाहिए जिससे देश को नुकसान न हो।
भागवत ने दलील दी की 30 साल बाद देश के 56 फीसदी लोग बूढ़े हो जाएंगे, ऐसे में उनके भरण-पोषण के लिए युवा पीढ़ी को होना चाहिए। यह बाते उन्होंने अपने पांच दिवसीय झारखंड दौरे के दूसरे दिन राज्य के प्रबुद्ध लोगों के साथ संवाद में पूछे गए सवालों के जवाब में कहीं।
बंद कमरे में हुए संवाद कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने कहा कि देश में कहीं पर मुस्लिम तो कहीं हिंदुओं की आबादी बढ़ी है। जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर देश का एकमत होना चाहिए। यदि एक मत बनता है तो समाज के सभी वर्गों पर इसे लागू करना चाहिए जिससे कि टकराव न हो। देश की जनसंख्या में संतुलन होना चाहिए।
आरएसएस प्रमुख ने टुकड़े-टुकड़े गैंग के देश को तोड़ने की बात करने के सवाल पर कहा कि आप निश्चित रहें, देश नहीं टूटेगा। आप जिस गैंग की बात कर रहे हैं, वे गलतफहमी में न रहें। यहां रहने वाले सभी हिंदू हैं। डीएनए से भी यह साबित हो चुका है। यहां से जब भी कोई विदेश जाए तो उसे हिंदू के नाम से जाना जाता है।
भागवत ने एक सवाल के जवाब में कहा कि संघ का कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है। यह संगठन सत्य पर आधारित है। संघ समय-समय पर समाज के मुद्दों को उठाता रहता है। जरुरत होने पर उसकी व्याख्या की जाती है। सरकार में संघ के स्वयंसेवक हैं। वे खुद अपने फैसले लेते हैं।