कोरोना महामारी का प्रकोप खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. कई देशों में कुछ दिन की खामोशी के बाद अब इसकी दूसरी लहर आने का डर सताने लगा है. भारत में कोरोना महामारी चरम पर है और रोजाना 50 हजार से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं.
स्पेन पर नजर डाली जाए तो 1 जून 2020 को कोरोना के 71 नए मामले सामने आए और किसी की भी मौत नहीं हुई, जबकि इस देश में 239,638 लोग कोरोना से संक्रमित थे तो वहीं 27,127 लोगों की मौत हो चुकी है. अब फिर से इस देश में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने लगे हैं.
अब यहां 30 जुलाई से अब तक कोरोना के एक हजार से ज्यादा केस दर्ज किए जा चुके हैं. क्योंकि मुख्य रूप से राजधानी मैड्रिड, आरागॉन और बार्सिलोना के क्षेत्रों में लॉकडाउन प्रतिबंध हटा दिए गए हैं.
महामारी के फिर से फैलने के कारण फ्रांस और नॉर्वे जैसे कुछ देशों ने आवाजाही पर रोक लगा दी है और ब्रिटेन अपने यहां स्पेन से आने वाले यात्रियों को क्वारनटीन करने जा रहा है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मीडिया से कहा, ‘हमारे यूरोपीय दोस्तों में से कुछ के बीच यूरोप में क्या हो रहा है, इसके बारे में पूरी तरह से स्पष्ट होना चाहिए, मुझे डर है कि आप कुछ स्थानों पर महामारी की दूसरी लहर के संकेत देखने लगेंगे.’ मध्य पूर्व में, इजराइल, जहां एक बार वायरस नियंत्रण में था, वहां रोजाना संक्रमित लोगों का औसत 1,700 से अधिक का है.
जबकि ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया राज्य में आपदा की स्थिति घोषित की गई है. देश में दूसरी कोविड लहर के मुख्य केंद्र में “आपदा की स्थिति” घोषित कर दी गई है. नए नियमों के तहत रात के समय कर्फ्यू और लोगों को घरों से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. ऑस्ट्रेलिया में 17,000 से अधिक मामले और 718 मौतें हो चुकी हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में कहा कि वायरस एक बड़ी लहर के रूप में सामने आ रहा है, जिसका कोई सबूत नहीं है कि यह मौसम से प्रभावित होता है. लेकिन डब्ल्यूएचओ ने यह भविष्यवाणी करते हुए बताया कि यह महामारी लंबे समय तक चल सकती है.
भारत में इस अनलॉक का तीसरा चरण चल रहा है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ने कोरोना महामारी के मामलों के अभी शिखर को भी नहीं छुआ है.
पूर्व वैज्ञानिक ‘जी’ और आईसीएमआर (महामारी विज्ञान और संचारी रोग प्रभाग) के प्रमुख डॉ. ललित कांत ने कहा, ‘हम भारत में अभी शीर्ष पर भी नहीं पहुंचे हैं. हमारा ग्राफ अभी भी एक सीधी रेखा में ऊपर जा रहा है. मामलों में गिरावट आने के बाद दूसरी लहर आएगी.
पहले ऐसे संकेत दिए गए थे कि देश में कोरोना मामलों की संख्या जुलाई 2020 तक पीक पर होगी, लेकिन अब कई विशेषज्ञों का कहना है कि सितंबर के मध्य तक पीक पर पहुंच सकती है. लेकिन यह सब कुछ सरकारी प्रयासों और लोगों के सार्वजनिक तौर पर व्यवहार पर निर्भर करेगा.
डॉ. ललित कांत ने कहा कि दिल्ली के मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि हम पीक पर पहुंच गए हैं और फिर नीचे जा रहे हैं. सीरो-सर्वेक्षण के अनुसार, दिल्ली में 5 में से 4 लोगों के मामले सामने नहीं आए हैं, जिसका अर्थ है कि अभी भी कई अतिसंवेदनशील हैं. हालांकि उन्होंने अभी कोरोना संक्रमण की एक दूसरी लहर आने से इनकार नहीं किया.
डॉ. कांत ने कहा कि मानसून के कारण कोविड-19 का संक्रमण बढ़ सकता है. दूसरा, यह इन्फ्लुएंजा का मौसम है जो मानसून से शुरू होता है. इन्फ्लुएंजा के लक्षण कोविड-19 के लगभग समान हैं. लोग वर्तमान में केवल कोविड-19 के लिए टेस्टिंग करा रहे हैं. यदि उनमें फ्लू के लक्षण दिखते हैं, तो दोनों संक्रमण पहले से मौजूद समस्याओं का कारण बन सकते हैं.
यह पूछे जाने पर कि क्या कुछ देश कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर देख रहे हैं. भूषण ने कहा कि फिर से खोलने से कुछ क्षेत्रों में संख्या बढ़ जाती है. दुनिया के कुछ देशों में महामारी को लेकर ताजा स्थिति देखी जा रही है, लेकिन मैं इसे दूसरी लहर नहीं कहूंगा.
वहीं, भारत के बारे में, भूषण ने कहा, हमने कई क्षेत्रों को अचानक नहीं खोला है. चरणबद्ध तरीके से खोला जा रहा है. कोरोना को लेकर संयमित व्यवहार करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से लगातार संदेश दिए जा रहे हैं.
ICMR के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव ने कहा है कि यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि भारत कोविड-19 संक्रमणों की दूसरी लहर देखेगा या नहीं. देश में अलग-अलग भौगोलिक स्थितियों के कारण हर क्षेत्र में बीमारी का स्तर अलग-अलग है. हमने विभिन्न भौगोलिक और दुनिया भर में विभिन्न जनसांख्यिकी में संक्रमण और मृत्यु दर के प्रसार में भी बहुत अंतर देखा है.
इसलिए, यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि भारत संक्रमण की दूसरी लहर देखेगा या नहीं, यह अभी भी व्यापक है. कुछ राज्यों में रोग वितरण में भी व्यापक भिन्नता है इसलिए इसे साइज में फिट नहीं किया जा सकता.
अन्य देशों ने भी संक्रमण की दूसरी लहर को रोकने के लिए योजना बनाना शुरू कर दिया है. बेल्जियम में, संक्रमण से लड़ने और महामारी फैलने से रोकने के लिए 83 पेजों की एक विस्तृत योजना प्रस्तावित की गई है. सबसे पहले सितंबर के अंत तक प्रति दिन कोरोना वायरस परीक्षणों की संख्या में वृद्धि करना है. दूसरा स्थानीय, क्षेत्रीय या राष्ट्रीय लॉकडाउन के साथ संक्रमण की एक नई लहर को भी रोकना है.