अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ लगाते हुए भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड इकोनॉमी’ (Trump Dead Economy Remark) कहा था, लेकिन मैक्रो इकोनॉमिक आंकड़े इसे पूरी तरह से गलत साबित कर रहे हैं। Q1 जीडीपी डेटा में भारत की अर्थव्यवस्था 7.8 फीसदी की दर से बढ़ी है और अब मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से आए एक और डेटा ने बड़ी राहत दी है। दरअसल, भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर (Manufacturing Activity Rises) ने अगस्त में उच्च अमेरिकी टैरिफ के बावजूद अपनी मजबूत गति जारी रखी, और परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) 59.3 ने ऑल टाइम हाई लेवल को छू लिया है। खास बात है कि अगस्त में इंडेक्स ने साढ़े 17 वर्षों में सबसे मज़बूत प्रदर्शन किया है।
लगातार तीसरे महीने PMI में तेजी
अगस्त, लगातार तीसरा ऐसा महीना रहा है जब पीएमआई 58 के स्तर से ऊपर रहा है, जो बाहरी चुनौतियों के बावजूद इस क्षेत्र के लचीलेपन को दर्शाता है। पीएमआई का प्रदर्शन पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों को दर्शाता है, जब वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में विनिर्माण उत्पादन 7.7 प्रतिशत बढ़ा, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 7.6 प्रतिशत था।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और टैरिफ के वैश्विक व्यापार पर दबाव के बावजूद, मज़बूत घरेलू माँग और मज़बूत निर्यात ऑर्डर्स ने गति बनाए रखी है।
मजबूत रहा Q1 GDP डेटा
इससे पहले चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही है। दुनियाभर में चल रही उथल-पुथल के बीच यह विकास दर काफी महत्वपूर्ण है और इसने आरबीआइ समेत तमाम वित्तीय एजेंसियों के पूर्वानुमानों को पीछे छोड़ दिया है।