चीन के क्षेत्र में पड़ने वाली इन झीलों में लगातार पानी का दबाव बढ़ता जा रहा है, जिससे इनके टूटने का खतरा बना हुआ है।
पिछले 30 साल से हिमालयी नदियों पर कार्य कर रहे रुड़की स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) में जल संसाधन विकास एंव प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर नयन शर्मा ने बताया कि दिसंबर 2017 में उपग्रह से प्राप्त चित्रों का अध्ययन करते हुए उन्हें इसका पता चला। उन्होंने बताया कि यदि ये झीलें टूटीं तो पानी दो किलोमीटर की ऊंचाई से गिरेगा, जिसकी रफ्तार काफी तेज होगी।
उन्होंने बताया कि 17 नवंबर 2017 को आए भूकंप के दौरान पहाड़ से गिरे मलबे के कारण झील अस्तित्व में आई हैं। जिस स्थान पर झील बनी है वह तिब्बत के शहर यंगची से 139 किलोमीटर दूर है। प्रो. शर्मा के अनुसार वर्ष 2000 में भी ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी में भी ऐसी ही झील बनी थी। इस झील के टूटने के कारण अरुणाचल प्रदेश में चार हजार लोग हताहत हुए थे। प्रो. शर्मा ने आशंका जताई कि तब सहायक नदी पर एक झील टूटने से तबाही इतनी थी। अब तीन झील हैं, ऐसे में तबाही का दायरा बढ़ सकता है।
प्रो. शर्मा का मानना है कि अभी मौसम सदी का है। ऐसे में सरकार के पास समस्या से निपटने के लिए समय भी है। सरकार को जल्द से जल्द चीन की सरकार के साथ इसका हल निकालना चाहिए। वजह यह कि गर्मियों में ग्लेश्यिर पिघलने लगते हैं और इससे नदी का जलस्तर बढ़ने लगेगा। जाहिर से इससे झील पर दबाव बढ़ने से टूटने की आशंका बढ़ जाएगी।
केंद्र को दी जा चुकी है रिपोर्ट
प्रो. नयन शर्मा ने बताया कि इस बारे केंद्र सरकार को रिपोर्ट दी जा चुकी है। रिपोर्ट में सरकार को सलाह दी गई है कि उपग्रह के जरिये झीलों पर लगातार निगाह रखी जाए। दूसरा इससे निपटने के लिए रणनीति भी बनाई जानी चाहिए। इसके लिए छोटे-छोटे विस्फोट कर झील से पानी का रिसाव किया जा सकता है।