प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रक्षा क्षेत्र में केंद्रीय बजट प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए वेबिनार को संबोधित किया। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उनके साथ मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने अपने इंजीनियरों-वैज्ञानिकों और तेजस की क्षमताओं पर भरोसा किया और आज तेजस शान से आसमान में उड़ान भर रहा है। कुछ सप्ताह पहले ही तेजस के लिए 48 हजार करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया गया है।
भारत के निजी क्षेत्र को स्वदेशी डिजाइन और विकास में डीआरडीओ के अनुभव से सीखना चाहिए। नियमों और विनियमों में बाधा नहीं होनी चाहिए और हम जल्दी से उसी के लिए सुधार कर रहे हैं। निजी क्षेत्र को अब परियोजनाओं की शुरुआत में शामिल किया जाएगा।
देश में आज जो डिफेंस कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, वो भी स्थानीय उद्यमियों, लोकल मैन्यूफैक्चरिंग को मदद करेंगे। यानि आज हमारे डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को हमें ‘जवान भी और नौजवान भी’, इन दोनों मोर्चों के सशक्तिकरण के रूप में देखना होगा
एमएसएमईएस तो पूरे मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर के लिए रीढ़ का काम करती हैं। आज जो रिफॉर्म्स हो रहे हैं, उससे एमएसएमईएस को ज्यादा आजादी मिल रही है, उनको एक्सपैंड करने के लिए प्रोत्साहन मिल रहा है।
रक्षा के कैपिटल बजट में भी डोमेस्टिक प्रोक्यॉरमेंट के लिए एक हिस्सा रिजर्व कर दिया गया है। मैं प्राइवेट सेक्टर से आग्रह करूंगा कि मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ डिजाइन और डेवलेपमेंट में भी आप आगे आएं, भारत का विश्व भर में परचम लहराएं।
ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो अपनी रक्षा ज़रूरतों के लिए हमारी विदेशों पर निर्भरता को कम करने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है, जिसकी वजह से भारत में बने प्रॉडक्ट्स की, भारत में बिकने की गारंटी है।
सरकारी भाषा में ये नेगेटिव लिस्ट है लेकिन आत्मनिर्भरता की भाषा में ये पॉजिटिव लिस्ट है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जिसके बल पर हमारी अपनी मैन्युफेक्चरिंग कैपेसिटी बढ़ने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो भारत में ही रोजगार निर्माण का काम करेगी।
भारत ने डिफेंस से जुड़े ऐसे 100 महत्वपूर्ण डिफेंस आइटम्स की लिस्ट बनाई है, जिन्हें हम अपनी स्थानीय इंडस्ट्री की मदद से ही मैन्यूफैक्चर कर सकते हैं। इसके लिए टाइमलाइन इसलिए रखी गई है ताकि हमारी इंडस्ट्री इन जरूरतों को पूरा करने का सामर्थ्य हासिल करने के लिए प्लान कर सकें।
2014 से ही हमारा प्रयास रहा है कि ट्रांसपेरेंसी, प्रीडिक्टेबिलिटी और ईज ऑफ डूइंगके साथ हम इस सेक्टर में आगे बढ़ रहे हैं। डी-लाइसेंसिंग, डी-रिग्युलेशन, एक्सपोर्ट, प्रमोशन, फॉरेन इनवेस्टमेंट लिबरेलाइजेशन, आदि के साथ हमने इस sector में एक के बाद एक कदम उठाए हैं।
भारत के पास गोला-बारूद और मिलिट्री उपकरण बनाने के लिए सदियों का अनुभव है। स्वतंत्रता से पहले, हमारे पास बड़ी संख्या में आयुध कारखानों थे। दोनों विश्व युद्धों में, भारत में बने हथियार दुनिया भर में भेजे गए थे। लेकिन आजादी के बाद अनेक वजहों से इस व्यवस्था को उतना मजबूत नहीं किया गया, जितना किया जाना चाहिए था।शांति के लिए पूर्व-स्थिति शक्ति है और शक्ति के लिए पूर्व-स्थिति क्षमता है और क्षमता के लिए पूर्व-स्थिति सही तैयारी है।
जहां हमारे वीर जवान ट्रेनिंग लेते हैं वहां हम कुछ ऐसा लिखा हुआ देखते हैं कि शांतिकाल में बसाया पसीना, युद्ध काल में रक्त बहने से बचाता है। यानी, शांति की प्री-कंडिशन है वीरता। वीरता की प्री-कंडीशन है सामर्थ्य। सामर्थ्य की प्री-कंडीशन है पहले से की गई तैयारी।
बजट के बाद भारत सरकार अलग-अलग क्षेत्र के लोगों के साथ चर्चा करके बजट को कैसे-कैसे इंप्लीमेंट किया जाए और बजट के लिए साथ मिलकर कैसे रोडमैप तैयार हो, इस पर चर्चा हो रही है। आज रक्षा मंत्रालय के वेबिनार में भाग ले रहे सभी पार्टनर्स, स्टैक होल्डर्स के साथ चर्चा का मौका मिला है।