भारत के खिलाफ अमेरिका-कनाडा के आरोपों पर जयशंकर की दो टूक

भारत के खिलाफ अमेरिका और कनाडा के आरोपों के बारे में जब विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से सवाल पूछा गया तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया। एस जयशंकर ने कहा कि वे हमें प्रभावित करना चाहते हैं क्योंकि इनमें से कई देशों को लगता है कि उन्होंने पिछले 70-80 वर्षों से इस दुनिया को प्रभावित किया है। आगे बोले देश की सुरक्षा की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।

भारत के खिलाफ अमेरिका और कनाडा के आरोपों के बारे में जब विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से सवाल पूछा गया तो उन्होंने दो टूक जवाब दिया। एस जयशंकर ने कहा कि वे हमें प्रभावित करना चाहते हैं क्योंकि इनमें से कई देशों को लगता है कि उन्होंने पिछले 70-80 वर्षों से इस दुनिया को प्रभावित किया है।

आगे बोले कि पश्चिमी देशों को वास्तव में लगता है कि उन्होंने पिछले 200 वर्षों से दुनिया को प्रभावित किया है, आप किसी ऐसे व्यक्ति से कैसे उम्मीद कर सकते हैं जो वे उन पुरानी आदतों को इतनी आसानी से छोड़ने की स्थिति में हैं। वे एक ऐसे भारत को देख रहे हैं जो एक तरह से उनकी छवि के अनुरूप नहीं है कि भारत कैसा होना चाहिए।

साथ ही एस जयशंकर ने कहा कि पश्चिमी मीडिया ने कुछ मामलों में खुले तौर पर उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों का समर्थन किया है पार्टियाँ, वे अपनी प्राथमिकताएँ नहीं छिपातीं। वे आपको प्रतिष्ठित रूप से नुकसान पहुँचाएँगी, कोई व्यक्ति सूचकांक लाएगा और आपको उसमें नीचे डाल देगा। जिन देशों को अपने चुनाव के नतीजे तय करने के लिए अदालत जाना पड़ता है, वे हमें चुनाव कैसे कराना है इसके बारे में व्याख्यान दे रहे हैं।

विदेश मंत्री ने कहा-देश की सुरक्षा की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बलों की तैनाती असामान्य है और देश की सुरक्षा की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। कोलकाता इंडियन चैंबर आफ कामर्स (आइसीसी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि भारत ने गलवन झड़प का जवाब वहां बलों की जवाबी तैनाती से दिया।

चीन ने सीमा पर बड़ी संख्या में सेना तैनात कर दी

विदेश मंत्री जयशंकर ने कार्यक्रम में बताया कि 1962 की जंग के बाद 1988 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने चीन की यात्रा की। इसका उद्देश्य स्पष्ट था कि चीन और भारत संबंधों को सामान्य बनाएंगे। यात्रा का उद्देश्य सीमा मतभेदों पर चर्चा करने के साथ-साथ सीमा पर शांति के बनाए रखना था। लेकिन 2020 में चीनियों ने इस समझौते को तोड़ दिया। भारत कोविड-19 लाकडाउन में था, ऐसे समय पर चीन ने सीमा पर बड़ी संख्या में सेना तैनात कर दी। अब चीजें बदल गई हैं।

एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने भी चीन की तैनाती का कड़ा जवाब दिया। हमने भी अपनी सेनाएं वहां तैनात की। पिछले चार साल से सेनाएं गलवन में सामान्य बेस पोजीशन से आगे तैनात हैं। एलएसी पर यह तैनाती असामान्य है। तनाव को देखते हुए भारतीय नागरिक के रूप में हमें देश की सुरक्षा की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। चीन के साथ संघर्ष आर्थिक चुनौती भी है।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के अनुसार 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य पर जोर देते हुए व्यापारिक संगठनों से देश के विनिर्माण क्षेत्र के पुनरुद्धार को सुनिश्चित करने के लिए सरकार के साथ साझेदारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि 2047 तक 30 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने का लक्ष्य है।

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