भारत ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) से मांग की है कि सुरक्षा परिषद के एजेंडे से ‘भारत-पाकिस्तान सवाल’ (India-Pakistan question) के ‘पुराने पड़ चुके एजेंडे’ के तहत जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) का मसला स्थायी रूप से हटाया जाए। भारत का कहना है कि ऐसे ‘तर्कहीन अतिउत्साह’ का गरिमामयी दुनिया में कोई लेनदार नहीं है।
बिना नाम लिए पाकिस्तान पर सीधा निशाना साधते हुए भारत ने कहा कि एक ऐसा प्रतिनिधिमंडल है जो बार-बार यह दिखाने की कोशिश करता है कि वह अंतरराष्ट्रीय शांति में योगदान दे रहा है, लेकिन दुर्भाग्य से वह यह समझने में असफल रहा है कि उसे वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय आतंक को फैलाने वाला और आतंकवाद का गढ़ माना जाता है। यह प्रतिनिधिमंडल परिषद में लगातार पुराने पड़ चुके एजेंडे पर वार्ता के लिए जोर देता है जिसे परिषद के एजेंडे के सभी मामलों से स्थायी रूप से हटाए जाने की जरूरत है। बता दें कि ‘भारत-पाकिस्तान सवाल’ के एजेंडे पर सुरक्षा परिषद की औपचारिक बैठक में पहली बार छह जनवरी, 1948 और आखिरी बर पांच नवंबर, 1965 को विचार किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति कह चुके हैं कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे में शामिल कराने की कोशिश में विफल रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के दावे के उलट तीन बार तो छोडि़ए भारत-पाकिस्तान के मसले पर सुरक्षा परिषद में पिछले 55 साल में एक बार भी कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई है।
दूसरी तरफ भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए सरकारों के बीच चल रही बातचीत के अपहृत वाली स्थिति में होने का आरोप लगाया है। भारत ने कहा है कि कुछ देश दुनिया की इस सबसे ज्यादा ताकतवर संस्था में सुधार नहीं होने देना चाहते। वे नहीं चाहते कि स्थायी सदस्य के रूप में इसमें कोई अन्य देश भी शामिल हो। वे अपना एकाधिकार कायम रखने के लिए असमंजसपूर्ण स्थिति बनाए हुए हैं। भारत ने सुरक्षा परिषषद में दशकों से लंबित सुधार को जल्द पूरा करने की मांग की है। कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र की अगली आमसभा में अपना सुधार से संबंधित पक्ष रखेगा। संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि के नागराज नायडू ने संस्था की आमसभा के 74 वें सत्र के अध्यक्ष तिजानी मुहम्मद बंदे को पत्र लिखकर हालात पर असंतोषष जाहिर किया है।