भारत का सबसे ठंडा इलाका माइनस 31 डिग्री में जवान दे रहे पहरा…

भारत में द्रास से ज्यादा ठंड आज तक कहीं दर्ज नहीं की गई है. श्रीनगर से 60 किमी की दूरी पर स्थित द्रास को ‘लद्दाख का गेटवे’ भी कहा जाता है. यह इलाका हिमालय से घिरा हुआ है. यहां ठंड के दिनों में नाले-नदियों में पानी जम जाता है.

जम्मू-कश्मीर में करगिल के द्रास में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. यहां पारा माइनस 31.4 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया. इसके बावजूद यहां भारतीय सेना के जवान देश की रक्षा के लिए दिन-रात तैनात हैं. बताया जाता कि रूस के साइबेरिया के बाद द्रास दुनिया में दूसरा सबसे ठंडा रिहायशी इलाका है.

अमूमन यहां पारा -30 से -40 डिग्री सेल्सियस पर रहता है. यहां सबसे कम तापमान 1995 में -60 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. इस खून जमाने वाली ठंड के बावजूद यहां 1300 लोग रहते हैं.

यहां रहने वाले 60 वर्षीय अघा अली बताते हैं कि ठंड के दिनों में यहां लोग घरों में बंद रहते हैं. बिजली की भी यहां दिक्कत हो जाती है. इस कारण हम गर्मी बनाए रखने के लिए पारंपरिक तरीके अपनाते हैं. गर्मी के दिनों में खाना पहले ही स्टोर कर लिया जाता है. ताकि वो ठंड में काम आ सके. टॉयलेट भी यहां जम जाते हैं और हमें ताज़ी सब्जियां भी नसीब नहीं होती हैं. हम बर्फ को पिघलाकर पीने को पानी इस्तेमाल करते हैं.

गौरतलब है कि द्रास 1999 में उस वक्त सुर्ख़ियों में आया था जब करगिल के टाइगर हिल पर पाकिस्तान ने घुसपैठ की थी. इसके बाद हुए वॉर में भारत ने पाकिस्तान को खदेड़ निकाला था. यहां तैनात जवान प्रदीप (बदला हुआ नाम) ने बताया कि यहां तापमान माइनस 35 तक पहुंच चुका है. सीमा की रक्षा के लिए हम सुबह 6 बजे से पेट्रोलिंग करते हैं. साथ में हम खाने पीने का सामान भी ले जाते हैं. उन्होंने बताया कि जवानों को ऐसी ट्रेनिंग दी गई है कि वो यदि बर्फ के बीच कहीं फंस जाए तो 72 घंटों तक वो खुद को जिंदा रख सकते हैं.

उन्होंने आगे बताया कि भारतीय सेना के शेड्यूल में हाल ही में योग को भी शामिल किया गया है. द्रास जैसी परिस्थितियों में योग कारगर साबित होता है. यह जवानों का स्ट्रेस दूर करने और फिट रखने में मदद करता है. हर दिन यहां जवान योग करते हैं.

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