भारत और श्रीलंका के बीच फेरी सेवा की शुरुआत करने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि हम भारत और श्रीलंका के बीच राजनयिक और आर्थिक संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं। बता दें कि ये फेरी सेवा नागापट्टिनम और कांकेसंतुराई के बीच शुरू की गई है और हमारे संबंधों को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत और श्रीलंका के बीच नौका सेवा की शुरुआत की। पीएम मोदी ने कहा कि हम भारत और श्रीलंका के बीच राजनयिक और आर्थिक संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत कर रहे हैं।
फेरी सेवा एक मील का पत्थर
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और श्रीलंका संस्कृति, वाणिज्य और सभ्यता का गहरा इतिहास साझा करते हैं और अब दोनों में आर्थिक साझेदारी भी बढ़ेगी। ये फेरी सेवा नागापट्टिनम और कांकेसंतुराई के बीच शुरू की गई है और हमारे संबंधों को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
इससे पहले केंद्रीय जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने तमिलनाडु के नागापट्टिनम और श्रीलंका के कांकेसंतुराई के बीच नौका सेवा को हरी झंडी दिखाई। इस बीच विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल हुए।
देशों और लोगों को करीब लाती है कनेक्टिविटी
पीएम ने अपने संबोधन में बताया कि राष्ट्रपति विक्रमसिंघे की हालिया यात्रा के दौरान दोनों देशों में आर्थिक साझेदारी बढ़ाने पर सहमति बनी थी। उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी इस साझेदारी का केंद्रीय विषय है। कनेक्टिविटी केवल दो शहरों को करीब लाने के बारे में नहीं है, बल्कि दो देशों और लोगों को करीब लाती है।कनेक्टिविटी व्यापार, पर्यटन और लोगों से लोगों के संबंधों को बढ़ाती है।
यह होगा किराया और यात्रा का समय
जानकारी के मुताबिक श्रीलंका जाने के लिए फेरी सेवा का टिकट प्रति व्यक्ति 7670 रुपये (6500 और 18 फीसद जीएसटी) तय किया गया था। नागापट्टिनम शिपिंग हार्बर विभाग के अधिकारियों की मानें तो आज उद्घाटन प्रस्ताव के रूप में इसका टिकट 2800 रुपये (2375 और जीएसटी) तय किया है। मौजूदा टिकट के दाम पर 75 फीसद छूट दी गई है। इस फेरी सेवा से कोई भी सिर्फ तीन घंटे में तमिलनाडु से श्रीलंका जा सकता है।
बहुत पुराने और गहरे हैं भारत-श्रीलंका के संबंध
तमिलनाडु के नागपट्टिनम और आसपास के कस्बे लंबे समय से श्रीलंका सहित कई देशों के साथ समुद्री व्यापार के लिए जाने जाते हैं। दोनों देशों के आर्थिक संबंध इतने पुराने है कि पूमपुहार के ऐतिहासिक बंदरगाह का उल्लेख प्राचीन तमिल साहित्य में एक केंद्र के रूप में किया गया है।