भारत रत्न अमर्त्य सेन ने कहा है कि दिल्ली की हिंसा बेहद चिंताजनक हैं. उन्होंने पश्चिम बंगाल के बोलपुर में एक कार्यक्रम में कहा कि दिल्ली जैसी हिंसा में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सबसे ज्यादा मारपीट और तकलीफ झेलनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि इस दौरान बच्चों और महिलाओं को सबसे ज्यादा मुश्किल होती है और वे हिंसा के ज्यादा शिकार होते हैं.
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि वे दिल्ली में शिक्षक रह चुके हैं और उन्हीं इलाकों में रहते थे जहां हिंसा हुई है. उन्होंने कहा, ” दिल्ली में मैं टीचर था और उन्हीं इलाकों में रहता था, हमें के लिए दुखी होना चाहिए जिनके साथ अत्याचार हुआ है और जो सताये गए हैं. लेकिन सिर्फ दुखी होकर काम नहीं चल सकता है. हमें ऐसी हिंसा को रोकने के लिए कदम उठाने पड़ेंगे.
साम्प्रदायिक हिंसा के पैटर्न पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जब ऐसी वारदात होती है तो पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा पीड़ित क्यों होती हैं, इस पर बात करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं के पास ताकत न होने की वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई है.
अमर्त्य सेन ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और लोगों को धर्म के आधार पर बांटा नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह पता लगाया जाना चाहिए कि क्या पुलिस अक्षम है या हिंसा से निपटने के लिए सरकार की तरफ से प्रयासों में कमी थी.
एक कार्यक्रम में सेन ने कहा, ‘मैं बहुत चिंतित हूं कि जहां घटना हुई है वह देश की राजधानी है और केंद्र द्वारा शासित है. अगर अल्पसंख्यकों को वहां प्रताड़ित किया जाता है और पुलिस फेल रहती है या फिर अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रहती है तो यह गंभीर चिंता का विषय है.’
उन्होंने कहा, ‘ऐसी रिपोर्ट है कि जो लोग मारे गए या जिन्हें प्रताड़ित किया गया उनमें अधिकतर मुसलमान हैं. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, हम हिंदू और मुसलमानों को बांट नहीं सकते. एक भारतीय नागरिक के तौर पर इस मामले में मैं चिंतित होने के अलावा कुछ और नहीं कर सकता.’
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पूरे मामले का विश्लेषण किए बिना वे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जस्टिस एस मुरलीधर का दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ट्रांसफर किये जाने पर सवाल उठना स्वाभाविक है.