केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा कि आतंकवादियों और भ्रष्ट लोगों को ‘निजता का कोई अधिकार’ नहीं है’। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से न्यायपालिका पर लोकलुभावनवाद (Populism) का दबाव एक खतरनाक ट्रेंड है। उन्होंने अंतरर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 में बोलते हुए ये बातें कहीं।
रविशंकर प्रसाद ने इस दौरान कहा ‘कुछ लोग सोशल मीडिया में इस बारे में प्रचार करना शुरू कर देते हैं कि अदालत को किस तरह के निर्णय देने चाहिए और यदि निर्णय उनकी उम्मीद के अनुसार नहीं आता तो वे जजों की आलोचना करने लगते हैं।’
केंद्रीय कानून मंत्री ने आगे कहा ‘लोकतंत्र में हम असहमति का स्वागत करते हैं। हम लोकलुभावनवाद का स्वागत करते हैं। लेकिन लोकलुभावनवाद संवैधानिक अधिकारों पर प्रभाव डाल सकता है। केंद्रीय मंत्री ने अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार पर भी अपनी राय रखी और कहा, अपने मन की बात कहें। सवाल पूछें। लेकिन यह इस तरीके से होना चाहिए कि भारत का विचार मजबूत और लचीला बना रहे।’
रविशंकर प्रसाद ने वैश्विक चुनौतियों के बारे में भी बात की और कहा, ‘हम संकल्प की तलाश कैसे करते हैं? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। मैं स्पष्ट तौर पर कह रहा हूं कि एकमात्र नियम कानून के शासन द्वारा शासित होने के पारंपरिक तरीके से ही ऐसा हो सकता है।’
रविशंकर प्रसाद के अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने भी अंतरर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 में भाग लिया, जो आज सुप्रीम कोर्ट परिसर के एडीशनल बिल्डिंग में आयोजित किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यहां अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन (IJC) का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का जीवन सत्य और सेवा के लिए समर्पित था, जिन्हें न्यायपालिका की नींव माना जाता है। यह भारत के लिए एक गौरव वाला क्षण है। यह सम्मेलन तब हो रहा है जब हमारा देश महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मना रहा है।