भारतीय रेलवे की सिग्नलिंग व्यवस्था को दुनिया में सबसे आधुनिक बनाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए झांसी-बीना समेत देश के चार सेक्शनों में मार्च से ट्रायल शुरू होगा। ट्रायल पर लगभग 1800 करोड़ रुपए खर्च होंगे। ट्रायल करीब 18 महीने चलेगा। इसमें सफलता मिली तो समूची भारतीय रेल की सिग्नल व्यवस्था को साल 2024 तक उन्नत किया जाएगा।
इससे शताब्दी, राजधानी समेत सभी ट्रेनों की रफ्तार बढ़ जाएगी। सेफ्टी (संरक्षा) भी सुधरेगी। ड्राइवर को आगे के चार सिग्नल इंजन में ही दिख जाएंगे। उस हिसाब से वह ट्रेनों की स्पीड तय कर सकेगा। ड्राइवर ने ब्रेक नहीं लगाया तो जरूरत पर अपने आप ब्रेक लग जाएगा।
भोपाल रेल मंडल के एक अफसर ने बताया कि चार रूटों पर यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल (ईटीसी) लेवल-2 का ट्रायल किया जाना है। रेलवे बोर्ड स्तर पर इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं। इस सिस्टम में सिग्नलिंग पूरी तरह से कंप्यूटराइज हो जाएगी। मानवीय काम बहुत कम हो जाएगा।
इसकी खासियत यह होगी कि सिग्नल नजदीक-नजदीक हो जाएंगे। ड्राइवर को उसके केबिन में अगले चार सिग्नल दिखने पर वह उसके अनुसार ट्रेन की रफ्तार को नियंत्रित कर सकेगा। मसलन आगे के चार सिग्नल हरे हैं तो काफी रफ्तार से ट्रेन को चलाया जा सकेगा।
यह होगा फायदा
-सिग्नल ज्यादा होने पर ज्यादा ट्रेनें उस सेक्शन में चलाई जा सकेंगी।
– पीला या लाल सिग्नल होने पर ड्राइवर ट्रेन नहीं रोकता तो ट्रेन में ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएगा।
-दुर्घटनाओं का खतरा कम हो जाएगा।
– घने कोहरे और बारिश में सिग्नल बंद नहीं होंगे न ही दृष्यता कम होगी।
-ड्राइवर को वायरलेस सिस्टम के जरिए भी ऑटोमैटिक अलर्ट मिलेंगे।
इनका कहना है
शताब्दी एक्सप्रेस अभी दिल्ली-आगरा के बीच 140 किमी/प्रति घंटा, आगरा से ललितपुर के बीच 130 किमी प्रति घंटा व ललितपुर-भोपाल के बीच 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। दिल्ली से आगरा के बीच इसकी औसत स्पीड 90 किमी प्रति घंटे है। ईटीसी सिस्टम आने के बाद रफ्तार 160 किमी प्रति घंटे तक हो जाएगी। इस रूट में सबसे तेज गतिमान एक्सप्रेस औसत 94 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से नई दिल्ली-झांसी के बीच चल रही है।
– टीके गौतम लोको पायलट, शताब्दी/राजधानी
इन सेक्शनों पर होगा ट्रायल
झांसी-बीना सेक्शन, रेनूगुंटा-येरागुंटा सेक्शन, विजियानाग्राम-पलासा सेक्शन और नागपुर-बंधेरा सेक्शन।