भारतीय रिज़र्व बैंक बचत खातों में, आवश्यक न्यूनतम बैलेंस के नियमों की करेगा समीक्षा

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि वह बचत खातों के लिए आवश्यक न्यूनतम शेष राशि और बैंक द्वारा लगाए जाने वाले जुर्माने के दिशानिर्देशों की समीक्षा करेगा।

वर्तमान में आवश्यक न्यूनतम शेष राशि और नॉन-मेंटेनेंस का जुर्माना विभिन्न बैंकों में अलग-अलग है। आमतौर पर विदेशी और निजी लेंडर्स 600 रुपये तक का उच्च शुल्क लेते हैं, जबकि पब्लिक सेक्टर के बैंक काफी कम शुल्क लेते हैं। औसत मासिक बेलेंस भी मेट्रो, शहरों, कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों की शाखाओं में भिन्न-भिन्न होता है। 

मौजूदा नियमों के अनुसार, बैंकों द्वारा खाताधारकों को एसएमएस, ईमेल या पत्र भेजकर खाते के बैंलेस को रिस्टोर करने के लिए कहना चाहिए। बैंकों को इसके लिए खाताधारकों को एक महीने का समय देना चाहिए। अगर आवश्यक मासिक बैंलेंस में बदलाव किया गया है, तो भी बैंकों को इस बारे में खाताधारकों को सूचित करना चाहिए। 

10 जून को आरबीआई ने बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट्स (BSBDA) से जुड़े कुछ नियमों को आसान बनाया है। इनमें एक महीने में न्यूनतम 4 विड्रॉल (निकासी) की अनुमति, एटीएम या एटीएम कम डेबिट कार्ड जारी करना और एक महीने में कितनी भी बार कितनी भी राशि जमा करने की अनुमति शामिल है। प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) और BSBDA के तहत खुले बचत खातों पर न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने का नॉन-मेंटेनेंस शुल्क नहीं लगता है। 

लोकसभा में सरकार द्वारा बताए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन सालों में बचत खाताधारकों ने न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने के शुल्क के रूप में बैंकों को करीब 10,000 करोड़ रुपये चुकाए हैं। इसमें से 18 पब्लिक सेक्टर के बैंकों ने 6,155 करोड़ रुपये वसूले और 4 बड़े निजी सेक्टर के बैंकों ने 3,567 करोड़ रुपये शुल्क लिया।

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