मुंबई। सोने पर भारतीयों के लट्टू रहने का राजफाश हो जाएगा। यह पता लगाया जाएगा कि आखिर क्यों पीली धातु पर वे दिल खोलकर खर्च करने में तनिक भी नहीं हिचकते हैं। इस काम का बीड़ा भारतीय रिजर्व बैंक ने उठाया है।
इसके लिए उसने एक समिति गठित की है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक देश में सोने की खपत 850 टन है। आरबीआई की ओर से बताया गया कि यह समिति भारत में परिवारों के निवेश करने के विभिन्न पहलुओं को देखेगी।
साथ ही विकसित और समकक्ष देशों की तुलना करते हुए भारत की स्थिति का मानकीकरण करेगी। इस समिति की कमान ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में फाइनेंशियल इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर तरुण रामादोरई को सौंपी गई है।
आरबीआई के अलावा वित्तीय क्षेत्र के अन्य नियामक जैसे सेबी, इरडा और पीएफआरडीए के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल होंगे। यह समिति इस पर विचार करेगी कि क्यों वित्तीय आवंटन और व्यवहार के मामले में भारतीय परिवारों का रवैया दूसरों से अलग है।
मसलन क्यों ज्यादातर परिवारों का सोने के प्रति आकर्षण है। समिति को कहा गया है कि वह दुनिया के अन्य बाजारों की तुलना में भारत में घरेलू वित्तीय बाजारों की मौजूदा गहराई का मानकीकरण करे। साथ ही विकास और बदलाव के क्षेत्रों की भी पहचान करके बताए।
एक दशक में औपचारिक वित्तीय बाजारों में घरेलू मांग के आकलन की जिम्मेदारी भी उसे सौंपी गई है। आरबीआई ने कहा है कि पैनल नई प्रणालियों की रूपरेखा का मूल्यांकन करेगा। साथ ही प्रोत्साहन और नियमों की वर्तमान व्यवस्था को भी दोबारा डिजाइन करेगा।
इससे औपचारिक वित्तीय बाजारों में परिवारों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सकेगा। यह समिति जुलाई 2017 के अंत तक रिपोर्ट सौंप सकती है। अप्रैल में वित्तीय स्थिरता एवं विकास समिति की उप समिति की बैठक हुई थी।
इसमें पेंशन जैसे निवेश उत्पादों के साथ होम लोन सरीके लायबिलिटी प्रोडक्ट्स की मांग पर चर्चा की गई थी। तभी यह फैसला हुआ था कि भारत में घरेलू फाइनेंस के विभिन्न पहलुओं को देखने के लिए समिति बनाई जानी चाहिए।