कार्तिक महीने की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि पर भाईदूज का पर्व मनाया जाता है। भाईदूज का त्योहार दिवाली के दो दिन बाद आता है। जोकि इस बार 29 अक्टूबर है। यह त्योहार भाई और बहन के स्नेह और प्यार का प्रतीक है। रक्षाबंधन के बाद भाईदूज बहन-भाई के प्रेम की दूसरा त्योहार है। इस त्योहार को भाई दूज, भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से मनाया जाता है।
भैया दूज पर बहनें भाई को माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती है। भाई दूज के दिन यमराज की पूजा होती है। मान्यता है कि इसी दिन यम देव अपनी बहन यमुना के बुलावे पर उनके घर भोजन करने आये थे।
पौराणिक कथा
कहा जाता है कि एक बार यमराज के पास उनकी बहन यमुना का संदेश आया तो यमराज सब कुछ छोड़कर उनसे मिलने पहुंच गए और इसी तरह से यम द्वितीया का त्योहार शुरू हुआ। भविष्योत्तर पुराण में यम द्वितीया यानी भैया दूज मनाने का यही कारण बताया गया है। भगवान यमराज अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे तो यमुना ने यमराज की पूजा करके अपने हाथ से उन्हें भोजन खिलाया। भोजन के पश्चात संध्या के समय तक यमराज यमुना के घर में रहे। माना जाता है कि हर वर्ष यमराज यमद्वितीया यानी कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना के घर आते हैं।
भविष्योत्तर पुराण के अनुसार यमराज ने यमुना को वरदान दिया है कि जो भी व्यक्ति यमद्वितीया के दिन यमुना के जल में स्नान करके बहन के घर जाकर उनके हाथों से बना भोजन करेगा उसकी आयु लंबी होगी। यम द्वितीया के दिन अगर यमुना में स्नान नहीं पाते तो बहन के घर जाकर उसके हाथों से यमुना जल का टीका लगवाएं और उनके हाथों से बना भोजन करें तो इससे भी अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।