सेना दिवस पर पहली बार सेना ने ड्रोन अटैक का नजारा पेश किया। इस ड्रोन अटैक में दिखाया गया कि कैसे बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के ये ड्रोन दुश्मनों पर सटीक निशाना लगा सकते हैं। ड्रोन स्वॉर्मिंग तकनीकी से आगे भविष्य में युद्ध में पूरी तरह से बदलाव देखने को मिलेगा।
सेना दिवस के मौके पर कई ड्रोन ने मिलकर दुश्मन के टैंक, आतंकी कैंप, हैलीपैड, फ्यूल स्टेशन सहित कई जगहों को निशान बनाने का प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में 75 ड्रोन शामिल थे। इस कार्यक्रम में दिखाया गया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए यह ड्रोन बिना किसी मानव हस्तक्षेप के दुश्मन के इलाके में 50 किलोमीटर तक दाखिल हुए और टारगेट की पहचान कर उन्हें नष्ट कर दिया।
इस सिस्टम में सारे ड्रोन एक-दूसरे के साथ कम्यूनिकेट करते हैं और एक साथ मिलकर मिशन को अंजाम देते हैं। भारतीय सेना ने स्वदेशी कंपनियों के साथ मिलकर ड्रोन स्वॉर्मिंग तकनीकी का प्रदर्शन किया, हालांकि ये इस बात को भी दिखाता है कि हम कैसे आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रहे हैं। इसमें मदर ड्रोन सिस्टम को भी दिखाया गया है।
इसमें दिखाया गया है कि मदर ड्रोन से चार चाइल्ड ड्रोन निकलते हैं और इनके अलग-अलग टारगेट होते हैं। इसके बाद यही चाइल्ड ड्रोन अपने टारगेट को सफलतापूर्वक नष्ट करते हैं। इस प्रदर्शन में ड्रोन ने सिर्फ इतना ही नहीं दिखाया कि वो दुश्मन पर निशाना लगा सकते हैं बल्कि पैरा ड्रॉपिंग के लिए भी उनको इस्तेमाल किया जा सकता है।
इन ड्रोन की मदद से किसी सामान को पैराशूट के जरिए उतारा जा सकता है या फिर ये ड्रोन खुद भी सामान को उतार सकते हैं। सामान लैंड करने के बाद इन ड्रोन का सिस्टम अपने आप बंद हो जाएगा।