दिव्यांग भिखारी राजू महामारी के दौरान भीख से जुटाए पैसे से जरूरतमंद लोगों को राशन बांट रहा है। राजू ने अब तक 100 से अधिक परिवारों को एक महीने का राशन दिया और राहगीरों में 2500 से अधिक मास्क बांट डाले। इसमें राजू ने 80 हजार से अधिक का खर्च कर दिया। यह पैसे उसने भीख मांग कर जुटाए थे।

कभी रेंगते हुए तो कभी व्हीलचेयर पर भीख मांगने वाला राजू बचपन से ही चलने-फिरने में असमर्थ है। ऐसा नहीं कि राजू ने समाजसेवा का काम पहली बार किया। रोजाना एकत्रित हुए पैसों में अपनी जरूरत के अनुसार खर्च कर बाकी बचाता है और जरूरतमंदों की सेवा में खर्च करता है।
मैले-कुचैले कपड़ों में लोगों के घरों तक राशन पहुंचाने वाला राजू दिव्यांग ही नहीं स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत है। वहीं, लोगों को पता है कि उनका पैसा भलाई के कामों में लगना है तो लोग राजू को खुले दिल से पैसे भी देते हैं।
महामारी के दौर में राजू ने 2500 मास्क खरीदे और अपनी व्हील चेयर पर बैठ रोजाना सड़कों पर निकलता है। राजू लोगों को मास्क देकर और साथ ही घर पर रहने और शारीरिक दूरी के लिए प्रेरित करता है।
राजू ने कहा कि लोग उसे बहुत पैसा देते हैं, वह पैसे जोड़ता है और मौका मिलते ही जरूरतमंदों पर खर्च कर देता हूं। राजू ने कहा कि जीते जी उसके अपनों ने उसे दूर रखा, कुछ नेकी कर लूंगा तो शायद आखिरी समय में लोगों के कंधे मिल सकें।
राजू पिछले 20 साल में 22 गरीब कन्याओं की शादी करवा चुका है। गर्मियों में छबील, भंडारा करवाता है। ढांगू रोड पर एक गली की पुली पर रोजाना हो रहे हादसों से से तंग आकर राजू ने अपने पैसों से पुली का निर्माण करवाया।
हर साल 15 अगस्त को महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई मशीनें उपलब्ध कराता है। सर्दियों में कंबल बांटना, कुछ बच्चों की फीस का खर्च उठाता है। कॉपी-किताब के लिए मदद करता है। कहता है, यह सब मेरे अपने हैं। इनकी मदद कर मन को शांति मिलती है।
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