दिल्ली सरकार इस बात पर अपना पीठ थपथपाने से नहीं चुकती कि राजधानी में प्रति व्यक्ति आय तीन लाख से ज्यादा है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में दिल्ली देश में दूसरे स्थान पर है, लेकिन आर्थिक मोर्चे पर इस बड़ी उपलब्धि के बीच एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि कई परिवारों को भरपेट भोजन या कहें कि भरपूर पोषण नसीब नहीं होता। इस वजह से हर साल कुपोषण से कई लोग दम तोड़ देते हैं।
पिछले पांच साल में दिल्ली में कुपोषण से 344 लोगों की मौत हो गई। यह आंकड़े दिल्ली सरकार के नागरिक पंजीकरण सर्वे में दर्ज हैं। आर्थिक व सांख्यिकी निदेशालय हर साल जन्म और मृत्यु का नागरिक पंजीकरण सर्वे रिपोर्ट तैयार करता है। इसमें मृत्यु के जो कारण दिए गए हैं उसमें हैरान करने वाली बात यह है कि यहां हर साल 65-68 लोगों की मौत कुपोषण से होती है।वर्ष 2012 से 2016 तक कुपोषण से 162 महिलाएं व 182 पुरुष अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके अलावा कुपोषण से मरने वालों में 263 बच्चे थे। इनमें 134 लड़के व 129 लड़कियां शामिल थीं।
रिपोर्ट के अनुसार, एक खास तरह की कुपोषण की बीमारी क्वाशियोरकोर से 38 लोगों की मौत हुई। यह बीमारी खानपान में प्रोटीन की मात्रा बहुत कम होने के कारण होती है, जबकि शरीर में कैलोरी की मात्रा ठीक होती है। इसके अलावा मरैज्मस (सुखंडी) नामक बीमारी से 54 लोगों की मौत हुई। भरपूर आहार नहीं मिलने पर इससे किसी भी उम्र के लोग पीड़ित हो सकते हैं पर बच्चे इससे अधिक पीड़ित होते हैं। खानपान में प्रोटीन के साथ-साथ कैलोरी व अन्य पोषक तत्वों की कमी के कारण शरीर सूखने लगता है और वजन सामान्य से 62 फीसद तक कम हो जाता है।