भगवान सूर्य की जन्मतिथि है अचला सप्तमी, इसको आरोग्य सप्तमी और पुत्र सप्तमी कहा जाता है

सूर्य के उत्तरायण होने पर प्रकृति के असीम ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए तमाम विधान बनाए गए हैं. उन्हीं में से एक है रथ सप्तमी जिसे आरोग्य सप्तमी या अचला सप्तमी भी कहा जाता है. यह माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन को कश्यप ऋषि और अदिति के संयोग से भगवान सूर्य का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को सूर्य की जन्मतिथि भी कहा जाता है.

इस दिन पूजा और उपवास से आरोग्य और संतान की प्राप्ति होती है. इसलिए इसको आरोग्य सप्तमी और पुत्र सप्तमी कहा जाता है. इसी दिन से सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं, इसलिए इसे रथ सप्तमी भी कहते हैं. इस बार सूर्य की रथ सप्तमी 19 फरवरी को है.

जिन लोगों की कुंडली में सूर्य नीच राशि का हो, शत्रु क्षेत्री हो या कमजोर हो उन्हें इस दिन व्रत करने से लाभ मिलता है. जिन लोगों का स्वास्थ्य लगातार खराब रहता हो, शिक्षा में लगातार बाधा आ रही हो या आध्यात्मिक उन्नति नहीं कर पा रहे हों उनके लिए भी इस दिन उपवास किया जाता है. इसके अलावा जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा हो उनके लिए भी रथ सप्तमी का बड़ा महत्व है.

प्रातःकाल में स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. सूर्य और पितृ पुरुषों को जल अर्पित करें. घर के बाहर या मध्य में सात रंगों की रंगोली (चौक) बनाएं. मध्य में चारमुखी दीपक रखएं. चारों मुखों को प्रज्ज्वलित करेंलाल पुष्प और शुद्ध मीठा पदार्थ अर्पित करें
गायत्री मंत्र,या सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें. जाप के उपरान्त गेंहू, गुड़, तिल, ताम्बे का बर्तन और लाल वस्त्र दान करें. इसके बाद घर के प्रमुख के साथ-साथ सभी लोग भोजन ग्रहण करें.

प्रातःकाल जल में रोली मिलाकर सूर्य को जल अर्पित करें. सूर्य देव को एक ताम्बे का छल्ला या कड़ा भी अर्पित करें. इसके बाद कम से कम तीन बार आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें. विजय और सफलता के लिए प्रार्थना करें. सूर्य के समक्ष ताम्बे का छल्ला या कड़ा धारण करें. इसे धारण करके मांस मदिरा का सेवन न करें.

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