इस्लाम में 786 का बहुत अधिक महत्व माना जाता है और ज्यादातर लोग इस नंबर के नोट अपने पास रखते हैं, कुछ तो कलेक्शन करते हैं. ऐसे में कई लोग अपनी गाड़ियों का नंबर यही रखते हैं तो कुछ अपने घर के बहार इसे लगा देते हैं.
अब 786 को लकी मानने के पीछे की वजह यह है कि हर मुस्लिम इस अंक को बिस्मिल्ला का रूप मानता है और अरबी या उर्दू में ‘बिस्मिल्ला अल रहमान अल रहीम’ को लिखेंगे तो उसका योग 786 आता है. इस कारण से इस अंक को इस्लाम मानने वाला हर व्यक्ति पाक मानता है. इसी के साथ इस अंक से जुडी रोचक बात यह है कि कई लोग इसका संबंध भगवान श्रीकृष्ण से भी बताते हैं. पुराणों में एक कथा मिलती है जिसके अनुसार कृष्ण जी अपनी 7 छिद्रों वाली बांसुरी को तीन-तीन यानी 6 अंगुलियों से बजाया करते थे और वे देवकी के आठवें पुत्र थे.
वहीं इन तीनों अंकों को मिलाकर बना है 786… इसी के साथ प्रसिद्ध शोधकर्ता राफेल पताई ने अपनी किताब ‘द जीविस माइंड’ में लिखा है कि अगर 786 नंबर की आकृति पर गौर किया जाए तो यह बिल्कुल संस्कृत में लिखा हुआ ॐ दिखाई देगी और इसे परखने के लिए 786 को हिन्दी की गिनती में यानी ७८६ लिखिए, जवाब आपको मिल जाएगा. पवित्र कुरान की शुरुआत एक आयत से होती है बिसमिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम (‘बिस्मिलाह-उर रहमान-उर रहीम) जिसका अर्थ है ”मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं जो बेहद रहम वाला और महा कृपालु है.” इस वाक्य “बिस्मिलाह-उर रहमान-उर रहीम” को अरबी लिपि में अबजद से लिखने पर सभी अक्षरों से संबंधित अंकों का योग ७८६ आता है इस कारण से इसे कृष्णा भगवान से जोड़ा जाता है.