भगवान शिव के इन 5 मंदिरों में दर्शन के साथ, सावन महीने की करें शुरुआत

‘शि’ का अर्थ है ‘मंगल’ और ‘व’ कहते हैं दाता को, इसलिए जो मंगलदाता है, वही शिव है। शिव ब्रह्म रूप में शांत हैं, तो रुद्र रूप में रौद्र हैं। शिव हमारी प्रार्थनाएं सहजता से स्वीकार करते हैं पर शिव का मूल उद्देश्य हमें अपनी तरह सहज, सरस और सरल बनाना है। श्रावण में शिव अभिषेक कामनाओं की पूर्ति हेतु संपन्न किया जाता है, लेकिन वह शुष्क मन-प्राण को भी सरस कर देता है। मन को चंद्रमा नियंत्रित करता है, जो सोमवार के दिन का स्वामी है। इसलिए शिवलिंग अभिषेक सोमवार को अवश्य किया जाता है, क्योंकि मन को उत्फुल्लित करने का यह एक कारगर उपाय है। तो 17 जुलाई से सावन महीने की हो रही है शुरुआत। भारत में बने इन मंदिरों का दर्शन इस पावन महीने में होगा खास, जानेंगे इसके बारे में। 

तुंगनाथ मंदिर, उत्तराखंड

समुद्र तल से 3680मीटर की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर है। जो बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर के बीच में स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बहुत ही अद्भुत है। हिमालय पर्वत की बर्फ से ढकी ऊंची चोटियां इसकी खूबसूरती में लगाती हैं चार चांद। तीर्थयात्रियों के साथ ही सैलानियों को भी ये जगह बहुत लुभाती है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर भगवान शिव के प्रिय ‘नंदी’ की मूर्ति विराजमान है। द्वार के दाईं ओर भगवान गणेश की मूर्ति है। मंदिर की वास्तुकला उत्तर भारतीय शैली में बनी हुई है और आसपास कई छोटे मंदिर हैं।      

 

जूनागढ़, भावनाथ तालेटी

जूनागढ़ सिर्फ गिर नेशनल पार्क के लिए ही नहीं जाना जाता, बल्कि ये साधुओं का भी घर है जो सावन महीने और महाशिवरात्रि के मौके पर दर्शन के लिए भारी तादाद में आते हैं। इनके अलावा दुनिया के अलग-अलग कोनों से भी लोग मंदिर में जल चढ़ाने और पूजा-अर्चना करने आते हैं। शिवरात्रि में तो जूनागढ़ आकर यहां के कल्चर और साधुत्व से भी रुबरू होने का मौका मिलता है।

 

पशुपतिनाथ मंदिर, मंदसौर

मध्यप्रदेश के मंदसौर में बना ये मंदिर भारत का इकलौता पशुपतिनाथ का मंदिर है। जो नेपाल के पशुपतिनाथ से काफी मिलता-जुलता हुआ है और इसलिए ही इसका नाम पशुपतिनाथ पड़ा। चिकने चमकदार पत्थर से बनी हुई पशुपतिनाथ की प्रतिमा सवा सात फीट ऊंची है। शिवना नदी के तट पर बसे इस मंदिर की मान्यता दूर-दूर तक फैली हुई है। कहते हैं सच्चे मन से मांगी गई मुराद जरूरी पूरी होती है।

 

मुरुदेश्वर मंदिर, कर्नाटक 

भगवान शिव का एक नाम मुरुदेश्वर भी है। कंडुका पहाड़ी पर बना ये मंदिर तीनों तरफ से अरब सागर से घिरा हुआ है। मंजिल में 20 मंजिला गोपुरा बना हुआ है। 249 फुट लंबा दुनिया का सबसे बड़ा गोपुरा है। समुद्र तट के पास स्थित भगवान शिव का यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत है और मंदिर परिसर में बने भगवान शिव की विशाल मूर्ति तकरीबन 123 फीट है। 

 

लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर

भुवनेश्र्वर के सबसे बड़े मंदिरों से में एक है। जो कलिंग की वास्तुकला और मध्यकालीन ऐतिहासिक परंपरा का बेजोड़ नमूना है। मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की भी प्रतिमा है। शिव से जुड़े हर एक त्यौहार में आप यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देख सकते हैं। लिंगराज मंदिर से होकर एक नदी गुजरती है जो कई तरह की शारीरिक बीमारियों को दूर करता है। सावन महीने में सुबह से ही भक्तगण महानदी से पानी भरकर पैदल चलकर मंदिर तक आते हैं। 

 

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