इस साल के अंत तक भारत में स्वदेशी सुपर कंप्यूटर तैयार कर लिया जाएगा। इसी के साथ सुपर कंप्यूटर के लिए कंपोनेंट्स की मैन्यूफैक्चरिंग को जरूरी बुनियादी ढांचा भी दिसंबर 2020 तक तैयार कर लिया जाएगा। सुपर कंप्यूटर बनने के बाद नेशनल नॉलेज नेटवर्क (एनकेएन) के जरिए देश के 75 संस्थान और कई रिसर्च स्कॉलर इन कंप्यूटर से जुड़ सकेंगे।
सुपर कंप्यूटर बनने के बाद से शिक्षा, उद्योग, वाणिज्य, अंतरिक्ष, तेल भंडार खोज अभियान, मौसम पूर्वानुमान, चिकित्सा और दूसरे सेक्टर से जुड़ी समस्याओं का आसानी से समाधान से निकाला जा सकेगा। नेशनल सुपर कंप्यूटिंग मिशन के तहत देश के 14 संस्थान अपने यहां मैन्यूफैक्चरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए पहले ही सहमति पत्र हस्ताक्षर कर चुके हैं।
इनमें आईआईटी, एनआईटी, नेशनल लैब और आईआईएसईआर जैसे संस्थान शामिल हैं। इसके तहत ये संस्थान अपने-अपने यहां डोमेस्टिक सर्वर बोर्ड्स की डिजाइन और डेवलेपमेंट, इंटरकनेक्ट प्रोसेसर, सिस्टम सॉफ्टवेयर लाइब्रेरी और स्टोरेज जैसे बुनियादी ढांचा विकसित करेंगे।
मौजूदा समय में भारत के सुपर कंप्यूटर्स देश में ही एसेंबल किए जाते हैं लेकिन इनको बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कंपोनेंट्स अलग-अलग देशों से आयात किए जाते हैं लेकिन अब भारत अपने ही देश में सुपर कंप्यूटर बनाने की क्षमता रखेगा।
बता दें कि देश का पहला सुपर कंप्यूटर परम शिवाय आईआईटी वाराणसी में स्थापित किया गया था। वहीं भारत पहले ही अपना स्वदेशी सर्वर रूद्र विकसित कर चुका है।