भाजपा संगठन में बदलाव के बाद अब केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार पर नजरें टिक गई हैं। सूत्रों का मानना है कि पार्टी नेताओं की भूमिका स्पष्ट होने के बाद अब बाकी संभावित चेहरों को सरकार में शामिल करने पर फैसला लेना आसान हो जाएगा।

कुछ नेताओं का मानना है कि कैबिनेट विस्तार जल्द होगा, तो दूसरे नेताओं का यह भी कहना है कि अक्टूबर-नवंबर में बिहार चुनाव के बाद इस पर फैसला होगा। इससे साफ है कि अगर बिहार चुनावों के बाद कैबिनेट विस्तार होता है तो वह 10 नवंबर के बाद ही होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी दूसरी पारी की शपथ 30 मई, 2019 को ली थी। तब से 16 माह हो गए हैं कैबिनेट विस्तार नहीं किया गया है जबकि मई 2014 में शपथ लेने के बाद उन्होंने महज छह माह बाद ही कैबिनेट विस्तार कर दिया था। शनिवार को 70 सदस्यीय पार्टी संगठन की नई टीम घोषित होने के बाद अब कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दो मंत्रियों के इस्तीफे और एक मंत्री के निधन के बाद से ये स्थान खाली पड़े हैं। ऐसी स्थितियों में कैबिनट विस्तार आवश्यक हो जाता है, पर यह अभी साफ नहीं है कि यह कब होगा।
जो नेता संगठन से बाहर हैं, उनमें कुछ को मौका मिल सकता है। कई बड़े चेहरों की संगठन से विदाई हो गई है। इनमें विनय सहस्त्रबुद्धे भी हैं जो पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे।
इसके अतिरिक्त अनिल जैन, सरोज पांडे, राम माधव तथा पी मुरलीधर राव हैं जो राष्ट्रीय महासचिव थे। चर्चाएं है कि जो राज्यसभा सदस्य हैं, उनको कैबिनेट विस्तार में जगह मिल सकती है।
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