संसद से पारित दो कृषि बिल के खिलाफ राजस्थान की 247 मंडियों में हड़ताल जारी है. व्यापारियों ने अपने कारोबार ठप कर रखे हैं और चेतावनी दी है कि अगर कृषि बिल पर बीजेपी सरकार ने यू-टर्न नहीं लिया तो यह आंदोलन जारी रहेगा. बता दें, 1 दिन की हड़ताल से मंडियों में करीब 600 से लेकर 700 करोड़ का नुकसान होता है.

मंडियों के व्यापारियों का कहना है कि मंडी में वे खानदानी बिजनेस करते हैं और कई पीढ़ियों से अनाज का काम करते आ रहे हैं. ऐसे में सरकार अगर मंडियों को बंद कर देती है तो रोजी-रोटी पर भारी संकट पैदा हो सकता है. मंडी में अकेले व्यापारी नहीं होते हैं बल्कि इनके अलावा हजारों की संख्या में मजदूर और ब्रोकर भी होते हैं जिन्हें रोजगार मिला होता है. बड़ी संख्या में ट्रांसपोर्टर अभी इस बिजनेस में लगे हुए हैं. ऐसे में इस बिल के लागू होने के बाद सभी लोग सड़क पर आ जाएंगे.
जयपुर की राजधानी मंडी में अनाज का काम करने वाले मधुसूदन गर्ग ने कहा कि उनका पुश्तैनी बिजनेस अनाज के कारोबार का है और 25-30 साल से वे इस बिजनेस में लगे हुए हैं. मगर अचानक से इस बिल के आने के बाद व्यापार खत्म होने का खतरा मंडराने लगा है. इसके पहले भी जीएसटी लागू होने से और नोटबंदी से व्यापार टूटा हुआ था. कोरोना की वजह से तो बिल्कुल ही ठप हो गया था और अब इस तरह के कानून आने के बाद व्यापार पर भारी संकट पैदा हो गया है.
राजधानी मंडी में ब्रोकर का काम करने वाले शुभकरण शर्मा का कहना है कि हमारे जैसे बहुत सारे बिचौलिए हैं जो छोटे-छोटे शहरों में अनाज के बारे में पता करते रहते हैं कि कहां डिमांड है और यहां से ले जाकर उनको पहुंचाते हैं. हम लोग सड़क पर आ जाएंगे, हमारे बारे में सरकार कुछ नहीं सोच रही है. खाद्य व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने कहा कि नए किसी बिलों के जरिए भारत सरकार खेत बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सौंपना चाहती है जिसके लिए इस तरह का बिल लाया गया है. पूरे देश के व्यापारियों ने मिलकर बीजेपी को वोट दिया था और बदले में बीजेपी ने हमें यह सिला दिया है.
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