दिल्ली हिंसा के मामले में गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद को 22 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. उमर को यूएपीए के तहत दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया है. उसे 13 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था और 24 सितंबर तक 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था.
इससे पहले कोर्ट ने उमर खालिद की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने पुलिस हिरासत के दौरान अपने परिवार से मिलने की इजाजत मांगी थी. खालिद को कड़े आतंकवाद रोधी कानून, गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है.
उमर खालिद ने अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए अनुरोध किया था कि उसे उसके परिवार से दो दिनों के लिए 30 मिनट की अवधि तक मिलने की इजाजत दी जाए. खालिद के वकील त्रिदीप पाइस ने अदालत को सूचित किया कि परिवार से मिलने के लिए पुलिस द्वारा उन्हें एक मौखिक आश्वासन दिया गया था, लेकिन बाद में उन्हें अनुमति से इनकार कर दिया गया.
विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने अदालत को अवगत कराया कि मुलाकात पूछताछ को प्रभावित कर सकती है और बाधा उत्पन्न कर सकती है. यह दलील दी गई कि आरोपी पहले से ही अपने वकील के साथ मुलाकात कर रहा है और अगर उसे अपने परिवार के सदस्यों को कोई संदेश देना है, तो वह उन्हें बता सकता है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 19 सितंबर को अपने आदेश में कहा कि तथ्यों को पूर्णता में देखते हुए और मामले की परिस्थितियों पर गौर करने के बाद मुझे यह आवेदन विचार योग्य नजर नहीं लगता। याचिका को खारिज किया जाता है. उमर खालिद पर सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को उकासने का आरोप है.
इसके अलावा दिल्ली हिंसा को लेकर विभिन्न मामलों में दायर आरोप पत्र (चार्जशीट) में भी खालिद का नाम है. सीएए समर्थकों और इसके खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों के बीच 24 फरवरी को पूर्वोत्तर दिल्ली में झड़प हो गई थी, जो कि जल्दी ही सांप्रदायिक हिंसा में बदल गई. इसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 के करीब घायल हुए थे.