बड़ी खबर: चीन ने शांक्सी प्रांत में 1,000 साल पुराने बौद्ध मंदिर को ध्वस्त किया

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके पूजास्थलों को लेकर घृणा लगातार जारी है. भारत के साथ जारी गतिरोध और कब्जे वाले तिब्बत में तिब्बतियों के चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के प्रति नजरिए, खास तौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में, ने चीन को नाराज कर दिया है.

धार्मिक उत्पीड़न की एक ताजा घटना में, चीन ने शांक्सी प्रांत में 1,000 साल पुराने बौद्ध मंदिर को ध्वस्त कर दिया है.

चीन में इंटरनेट पर सीसीपी का ऐसा पूरा नियंत्रण है कि महत्वपूर्ण घटनाओं पर भी ध्यान नहीं जा रहा है. मीडिया की ओपन सोर्स इंटेलीजेंस (OSINT) टीम ने ताजा सैटेलाइट चित्रों के माध्यम से हकीकत तक पहुंचने के लिए पड़ताल की.

फुयुन मंदिर ताइयुआन हवाई अड्डे के 8.5 किमी उत्तर-पूर्व में वुजिन पर्वत पर स्थित था. ये जगह शहर और गांवों के शोरगुल से दूर स्थित है.

शांक्सी प्रांत में बहुलता वाली हान आबादी की आंखों में ये बौद्ध मंदिर खटकता था. बौद्ध धर्म के अनुयायियों के साथ-साथ तिब्बती आबादी के बीच फुयुन मंदिर की बढ़ती लोकप्रियता जिनझोंग प्रान्त के यूसी जिले में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार को हजम नहीं हो रही थी.

फुयुन मंदिर के प्रभाव के सामने ताओवादी मंदिर और पास के वुजिंशन नेशनल पार्क में आकर्षण के अन्य स्थल जैसे हेहे मंदिर, दफोताई मंदिर, ताईकिंग पैलेस, जेड सम्राट पैवेलियन, जिउफेंग टॉवर और कोंग जियांगक्सी के समर हाउस फीके पड़ रहे थे.

प्रांत स्तर पर सीसीपी सरकार ने करीब 15 साल पहले इस बौद्ध मंदिर के प्रभाव को घटाने का फैसला किया. इसके लिए मंदिर के नवीनीकरण (रिनोवेशन) का बहाना दिया गया.

जमीनी सूत्रों के मुताबिक बौद्ध धर्म के स्थानीय अनुयायियों और भिक्षुओं को ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया जिसमें सरकार से फुयुन मंदिर के नवीनीकरण के लिए आग्रह किया गया था.

गूगल अर्थ की हाई रिजोल्यूशन तस्वीरों से पता चलता है कि रिनोवेशन का काम जो 2006 से शुरू हुआ, बहुत ही मंथर गति से चला और इसे पूरा होने में तीन से चार साल लगे.

पहले जो गर्भ गृह 40 मीटर चौड़ा था वो घटाकर 30 मीटर कर दिया गया और बरामदा बढ़ा दिया गया. मठ में चार बड़ी इमारतें थीं जिन्हें गिराकर सिर्फ एक नई इमारत का निर्माण किया गया.

पुराने पूजा भवनों को लाइब्रेरी और म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया. जिससे कि वहां किसी तरह की पूजा या धार्मिक शिक्षा न दी जा सके.

नई गार्ड पोस्ट्स और रिहाइश स्थल का निर्माण किया गया और मंदिर को नया चीनी नाम दे दिया गया. नए निर्मित लॉन में इस नए नाम को बड़े बड़े अक्षरों में उकेर दिया गया.

ये रिनोवेशन का सारा स्वांग मठ की सारी धार्मिक गतिविधियों पर सीसीपी का नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए किया गया.

फुयुन मंदिर को 24 जुलाई से 29 जुलाई के बीच बिना किसी चेतावनी या कारण के नष्ट कर दिया गया था. पीपुल्स आर्म्ड पुलिस, जो अब PLA का हिस्सा है, 21 जुलाई को बुलडोजर और अन्य अर्थ मूविंग उपकरणों के साथ फुयुन मंदिर परिसर में पहुंची.

पुलिस ने भिक्षुओं और मंदिर के अन्य कर्मचारियों को तुरंत परिसर छोड़ने के लिए कहा. स्थानीय निवासियों का दावा है कि मंदिर तक जाने वाली दो सड़कों को बिना किसी कारण बताए यातायात के लिए बंद कर दिया गया था.

सेंटिनेल की कम रिजोल्यूशन वाली सैटेलाइट तस्वीरों से संकेत मिलता है कि मंदिर को गिराने का काम 24 जुलाई के बाद शुरू हुआ था.

29 जुलाई की तस्वीर दिखाती है कि पूरा परिसर गिरा दिया गया और वहां से मलबा एकत्र किया गया.  17 सितंबर की सैटेलाइट स्पष्ट रूप से दिखाती है कि पूरे मंदिर परिसर में अब बिजली के खम्भे को छोड़कर अब पूरी तरह समतल जमीन है.

प्राचीन मंदिर में बैठे हुए बुद्ध की बड़ी प्रतिमा समेत कई अवशेष और भित्तिचित्र थे. सीसीपी की ओर से इस मंदिर को ध्वस्त करना तालिबान आतंकवादियों के उस कृत्य की याद दिलाता है जब अफगानिस्तान के बामियान में बुद्ध की बड़ी प्रतिमा को नष्ट कर दिया गया था.

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