नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और किसानों के बीच कल बातचीत होनी है. इससे पहले सरकार से बातचीत कर रहे 40 संगठनों में से एक किसान मजदूर संघर्ष समिति ने बड़ा ऐलान किया है. किसान मजदूर संघर्ष समिति ने सरकार द्वारा बुलायी गयी बैठक में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया. उसका कहना है कि सरकार के पास कोई ठोस एजेंडा नहीं है. साथ ही नए साल में संगठन अपने संघर्ष को और तेज करेगा.
किसान मजदूर संघर्ष समिति के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष सतनाम सिंह, राज्य सचिव सरवन सिंह पंढेर और सविंदर सिंह चौटाला ने कहा है कि नीति-अयोग का बयान, प्रधान मंत्री और अन्य मंत्रियों के भाषण केवल नए कृषि कानूनों के औचित्य का बचाव करते हैं. सरकार ने बैठक के लिए कोई ठोस एजेंडा नहीं रखा है, इसलिए हमने बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला किया है.
किसान मजदूर संघर्ष समिति ने कहा कि सरकार विवादास्पद बयान दे रही है, जिससे पता चलता है कि सरकार की नीति और दिमाग खराब है. यदि सरकार किसानों के साथ बात करना चाहती है, तो उसे कानून को निरस्त करने की पद्धति के बारे में बात करनी चाहिए. नए कृषि कानून, सभी फसलों पर एमएसपी, प्रदूषण अधिनियम और बिजली बिल- 2020। ऐसे ठोस एजेंडों पर बातचीत फलदायी हो सकती है.
किसान मजदूर संघर्ष समिति ने कहा कि सरकार केवल इन कानूनों में संशोधनों पर चर्चा करना चाहती है. पिछली बैठक में किसानों ने हां या नहीं के संदर्भ में सरकार से जवाब चाहा था. जसबीर सिंह पिद्दी, सुखविंदर सिंह साबरा, सविंदर सिंह चौटाला ने कहा कि रेल-रोको आंदोलन के 100 दिन पर संगठन आंदोलन तेज करेगा.
आपको बता दें कि सरकार ने सातवें दौर की बातचीत के लिए 40 संगठनों को न्योता दिया है. यह बातचीत 30 दिसबंर को होगी. बातचीत से पहले ही किसान मजदूर संघर्ष समिति ने बड़ा ऐलान किया है. अब देखना होगा कि बाकी संगठन क्या फैसला लेते हैं.