लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी ने सीटों का बंटवारा तय कर लिया। कई सीटों के लिए उम्मीदवार भी घोषित हो गए। इसके बाद कांग्रेस संग सपा-बसपा गठबंधन के साथ आने की अटकलों पर विराम लग गया था। हालांकि सपा-बसपा ने अमेठी और रायबरेली जैसी सीटें छोड़ दी। इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव सार्वजनिक मंचों पर यही कहते रहें कि हम साथ हैं। कांग्रेस हमसे अलग नहीं है। ऐसे में एक बार फिर उत्तर प्रदेश में महागठबंधन के एकजुट होने की संभावना दिख रही है।
80 लोकसभा सीटों वाला उत्तर प्रदेश हर राजनीतिक दल के लिए मायने रखता है। कहा जाता है कि दिल्ली के ताज-ओ-तख्त का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। ऐसे में भाजपा हो, कांग्रेस हो सपा-बसपा, उत्तर प्रदेश फतह करना सभी के लिए अहम है। इस बीच कहा यह भी जा रहा है कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस महाराष्ट्र में समझौता को तैयार है। कांग्रेस महाराष्ट्र में बसपा को दो और सपा को एक लोकसभा सीट दे सकती है। माना जा रहा है कि इसके जरिए कांग्रेस उत्तर प्रदेश के महागठबंधन में अब भी शामिल होने को लेकर आशा जता रही है।
महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति-मुस्लिम वोट बैंक पर नजर
मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम के अनुसार, भारिपा बहुजन महासंघ के प्रकाश आंबेडकर से लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही बातचीत तय नहीं हुई है, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए बसपा और सपा कांग्रेस के साथ आएंगी। बसपा और सपा को कौन-कौन सी सीटें दी जा सकती हैं, यह कांग्रेस और एनसीपी के वरिष्ठ नेता तय करेंगे।
कांग्रेस दो और एनसीपी एक सीट छोड़ सकती है
कांग्रेस महाराष्ट्र में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी को भी एक सीट देने को इच्छुक थी, लेकिन वह तीन सीटों की मांग पर अड़े रहे। उन्हें दो सीट देकर एनसीपी बीच का रास्ता निकालना चाहती थी।