आगामी जुलाई माह में ब्रिटेन में होने वाले आम चुनाव पर भारत के लोगों की गहरी निगाह है। वहां रह रहा हिंदू समाज चुनाव में अपनी प्रभावी भूमिका निभाने की तैयारी में है। पहली बार चुनाव से ठीक पहले हिंदू घोषणापत्र जारी किया गया है। माना जा रहा है कि इसका कारण खालिस्तानी समर्थकों द्वारा हिंदू मंदिरों तथा हिंदुओं को निशाना बनाने की घटनाओं का बढ़ना है।
माना जा रहा है कि इसका कारण खालिस्तानी समर्थकों द्वारा हिंदू मंदिरों तथा हिंदुओं को निशाना बनाने की घटनाओं का बढ़ना है। ब्रिटेन में सिख व मुस्लिम समाज का घोषणापत्र आता रहा है, लेकिन पहली बार है जब हिंदू समाज के लोग भी अपना घोषणापत्र लाए हैं।
सात सूत्रीय इस घोषणापत्र में प्रमुख रूप से हिंदू विरोधी नफरत को धार्मिक घृणा अपराध के रूप में मान्यता देना, उसमें शामिल संगठनों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाना, हिंदू मूल्यों को स्वीकार करना और उसकी रक्षा करने के साथ हिंदू पूजा स्थलों की रक्षा करना शामिल है।
मामले से जुड़े एक व्यक्ति के अनुसार, हमने अपना घोषणापत्र जारी कर कहा है कि जो प्रत्याशी या दल इस घोषणापत्र को स्वीकार करेगा, उसी को हिंदुओं के वोट मिलेंगे। हम हिंदुओं से जुड़े मामलों पर राजनीतिक दलों के साथ प्रत्याशियों का ठोस आश्वासन चाहते हैं। हम उन्हें बताना चाहते हैं कि यूके के जीवंत लोकतंत्र के हिंदू मजबूत स्तंभ हैं।
हार्मोनी कांफ्रेस में यह घोषणापत्र जारी किया गया
चार दिन पहले लंदन में आयोजित हार्मोनी कांफ्रेस में यह घोषणापत्र जारी किया गया है, जिसमें ब्रिटेन में सक्रिय 138 हिंदू धार्मिक व सामाजिक संगठनों के 350 से अधिक लोग शामिल हुए थे, जिसमें बाप्स श्री स्वामीनारायण मंदिर, चिन्मय मिशन, हिंदू स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, हिंदू मंदिर नेटवर्क व हिंदू काउंसिल ऑफ यूके जैसी प्रमुख संस्थाओं के लोग शामिल थे। जानकारों के अनुसार, ब्रिटेन की जनसंख्या में हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोगों की संख्या करीब 1.7 प्रतिशत है।