साढ़े छह साल से भी नीचे पहुंच चुकी विकास दर को संभालने के लिए आरबीआई एक बार फिर ब्याज दरें घटाने का फैसला कर सकता है। मौद्रिक नीति समिति की मंगलवार से शुरू हो रही बैठक में 5 दिसंबर को नीतिगत दरों पर कटौती की घोषणा होगी। बैंकरों और विशेषज्ञों का अनुमान है कि रिजर्व बैंक इस साल लगातार छठी बार रेपो रेट कटाएगा।
दिसंबर, 2018 में शक्तिकांत दास के गवर्नर पद संभालने के बाद से आरबीआई ने हर एमपीसी बैठक में रेपो दरें घटाई हैं। 2019 में अभी तक पांच बार की बैठक में कुल 1.35 फीसदी की कटौती की जा चुकी है।
बावजूद इसके अर्थव्यवस्था को गति मिलना तो दूर, लगातार गिरावट दिख रही है। जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में विकास दर 4.5 फीसदी पहुंच गई, जो पहली तिमाही में 5 फीसदी और पिछले साल की समान तिमाही में 7 फीसदी रही थी। गवर्नर पहले ही संकेत दे चुके हैं कि विकास दर में सुधार आने तक नीतिगत दरों में कटौती जारी रहेगी।
आईएसएच मार्किट के एशिया प्रशांत क्षेत्र के मुख्य अर्थशास्त्री राजीव बिस्वास ने कहा कि अर्थव्यवस्था और राजकोषीय स्थिति को देखते हुए काफी उम्मीद है कि आरबीआई मौद्रिक समीक्षा में नरम रुख बरकरार रखेगा। आरबीएल बैंक की अर्थशास्त्री रजनी ठाकुर का कहना है कि दूसरी छमाही में विकास दर सुधारने के लिए रिजर्व बैंक के 0.25 फीसदी की एक और कटौती करने की पूरी उम्मीद है।