बेहद खराब हो रहे हैं म्‍यांमार के हालात, अमेरिका में डेढ़ वर्ष और रह सकेंगे म्‍यांमार नागरिक

म्‍यांमार में लोकतांत्रिक सत्‍ता के सेना द्वारा तख्‍तापलट के बाद लगातार हालात खराब हो रहे हैं। गौरतलब है कि म्‍यांमार में 1 फरवरी 2021 को सेना के प्रमुख मिन ऑन्‍ग ह्लेनिंग ने ऑन्‍ग सांग सू की कि सरकार का तख्‍तापलट कर शासन अपने हाथों में ले लिया था। तब से ही वहां पर सैन्‍य शासन के खिलाफ जबरदस्‍त प्रदर्शन हो रहे हैं। सेना इन प्रदर्शनों को रोकने के लिए निहत्‍थे लोगों को जान से मारने तक से नहीं चूक रही है। प्रदर्शनकारियों पर की गई कार्रवाई में अब तक 60 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि कुछ पुलिसकर्मियों ने अपने अधिकारियों का आदेश न मानते हुए लोगों पर गोलियां चलाने से इनकार कर दिया था।

इसके बाद इनमें से कई पुलिसकर्मी देश छोड़कर भारतीय सीमा में घुस गए थे। इनमें से कुछ से रॉयटर्स ने पिछले दिनों बात भी की थी। इसी तरह से कई अन्‍य लोग भी म्‍यांमार से किसी दूसरे देश में जाने की कवायद में लगे हैं।हालांकि भारत ने तख्‍तापलट के बाद म्‍यांमार से आए लोगों को शरणार्थी कहने या मानने से इनकार कर दिया है। वहीं मिजोरम के सीएम ने उन्‍हें खाना और अस्‍थायी शरण देने की बात कही है।

म्‍यांमार के हालातों को देखते हुए ये समस्‍या कहीं बड़ा रुप भी ले सकती है। यही वजह है कि अमेरिका ने फिलहाल वहां पर मौजूद म्‍यांमार के लोगों अस्‍थायी निवास देने की पेशकश की है। इसका अर्थ है कि ऐसे लोग जो म्‍यांमार के निवासी हैं और तख्‍तापलट की कार्रवाई से पहले से अमेरिका में रह रहे थे वो अब अगले 18 माह तक वहां पर रह सकेंगे। अमेरिका में होमलैंड सिक्‍योरिटी सेक्रेटरी एलेजान्द्रो मयोरकाज के मुताबिक ऐसे लोगों को अस्‍थायी निवास दिया जा सकेगा।

मयोरकाज का कहना है कि तख्‍तापलट के बाद म्‍यांमार में हर रोज हालात खराब हो रहे हैं। देश में सहायता और मेडिकल इक्‍यूपमेंट्स ले जाने वाले विमानों का भी परिचालन बाधित हो गया है। इसकी वजह से म्‍यांमार में हर तरफ संकट छाया है। सेना प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसा रही है। ऐसे में उन लोगों के लिए स्‍वदेश वापसी काफी मुश्किल हो गई है जो 1 फरवरी से पहले से अमेरिका में रह रहे थे। यही वजह है कि इन लोगों को कुछ समय तक अमेरिका में अस्‍थायी निवासी के तौर पर रखना जरूरी हो गया है। इन्‍हें न तो जबरन म्‍यांमार भेजा जा सकता है और न ही भाग्‍य के सहारे छोड़ा जा सकता है।

आपको बता दें कि एमनेस्‍टी इंटरनेशनल ने कुछ ही दिन पहले अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि म्‍यांमार में प्रदर्शनों को कुचलने के लिए सेना ऐसे हथियारों का इस्‍तेमाल कर रही है जिन्‍हें युद्ध के दौरान इस्‍तेमाल किया जाता है। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव भी म्‍यांमार के हालातों पर अपनी चिंता व्‍यक्‍त कर चुके हैं। उन्‍होंने सैन्‍य शासन के प्रमुख से कहा है कि वो देश में लोकतांत्रिक सरकार की बहाली करें। इस बीच म्‍यांमार के सैन्‍य प्रशासन की तरफ से आंग सांग सू की पर भ्रष्‍टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सेना पहले से ही कह रही है कि नवंबर 2020 में हुए चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली की गई थी। सैन्‍य शासन के प्रमुख ह्लेनिंग ने पिछले दिनों कहा था कि सरकार का तख्‍तापलट करना उनके लिए बेहद जरूरी था।

म्‍यांमार के हालातों पर निगाह रखने के लिए नियुक्‍त संयुक्‍त राष्‍ट्र की विशेष दूत की पेशकश को भी म्‍यांमार के डिप्‍टी मिलिट्री चीफ ठुकरा चुके हैं। पिछले दिनों जब दोनों के बीच बातचीत हुई थी तब डिप्‍टी चीफ ने कहा था कि वो प्रतिबंधों के आदी हो चुके हैं। अब वो अपने कुछ साथियों के साथ चलना सीख रहे हैं। उनका ये भी कहना था कि प्रदर्शनकारियों पर सेना बेहद संयंम बरत रही है।

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