जिस दिन बच्ची गायब हुई वह जन्मदिन पर खरीदी आसमानी रंग की फ्रॉक पहने थी। फ्रॉक पर सुनहरे रंग के रूहें भी थे। शनिवार दोपहर जब परी की मां उसके मिलने की सूचना पर कटोराताल के सामने छत्री पहुंची तो पुलिस मिट्टी से खोदकर अवशेष निकाल रही थी। जैसे ही उसकी नजर एक पॉलीथिन में रखे कुछ कपड़े के रेशों पर पड़ी तो 5 साल से अपनी बेटी की तलाश में लगी मां की आस टूटने में जरा भी देर नहीं लगी। अवशेष में मिला आसमानी रंग का कपड़े का रेशा और सुनहरा रूहां देख मां की आंखों से आंसू बहने लगे। उसका कहना था कि उसे आस थी कि जिस बेटी की तलाश करते-करते उसके पैरों में छाले पड़ गए कभी भी मेरी परी मिलेगी तो उसे गले लगाउंगी। जब उसके साथ हुई दर्द भरी दास्तान सुनी तो मां के मुंह से यही निकला उस दरिंदे को दया नहीं आई।
जब ग्वालियर में उससे पूछताछ की तो उसने अचलेश्वर के पास से बच्ची उठाने की बात कबूली। जब उसका पैटर्न देखा तो 23 सितंबर 2013 को कम्पू थानाक्षेत्र के अचलेश्वर मंदिर के सामने भंडारा से एक 5 साल की बच्ची परी (परिवर्तित नाम) लापता है। 5 साल बाद भी उसका कुछ पता नहीं है। जब शुक्रवार को आरोपी को गुड़गांव पुलिस ग्वालियर लेकर आई तो उसने अचलेश्वर से 2013 में बच्ची को उठाकर छत्री में ले जाकर दुष्कर्म कर हत्या करना कबूला। जिसके बाद साफ हो गया कि परी ही दरिंदे की शिकार बनी है।
यह अस्थियां मिलीं
आसमानी रंग के कपड़े के टुकड़े जिसमें गोल्डन स्टार जैसे रुहे हैं। इसी तरह की फ्रॉक की बात बच्ची की मां ने घटना के समय पहने होने की बात पहले ही बताई थी।
-फ्रॉक के आसमानी टुकड़े
-एक नाखून
-रीड की हड्डी की गुरिया
– 3 बड़ी हड्डियां, टूटी हुईं
नाखून व रीड की हड्डी से डीएनए संभव
यह अस्थियां बच्ची की हैं या नहीं इसके लिए पुलिस डीएनए टेस्ट कराएगी। जो अस्थियां मिली हैं वह टूटी हुई हैं। इसलिए उनसे डीएनए संभव नहीं है। लेकिन रीड की हड्डी का गुरिया और नाखून से डीएनए संभव है। जिसे पोस्टमार्टम हाउस पर रखवा दिया गया है।
हत्या करने के बाद रोज वहां से गुजरता था दरिंदा
पकड़ा गया आरोपी दरिंदा सुनील निवासी महोबा झांसी खानाबदोश है। वह झांसी से अगस्त 2013 में ही ग्वालियर आया था। इस घटना को अंजाम देने से पहले वह अचलेश्वर व शहर के अन्य मंदिरों के बाहर घूमता फिरता था। 23 सितंबर को मासूम की हत्या के बाद वह भंडारा खाने वापस गया। इसके बाद कई दिन तक वह शहर में रहा। इस दौरान कई बार उस जगह से भी गुजरा। फिर वह दिल्ली और गुड़गांव पहुंचा।