पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने विश्वभारती विश्वविद्यालय द्वारा नोबल पुरस्कार से सम्मानित और प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रोफेसर अमर्त्य सेन द्वारा विश्वविद्यालय की जमीन कब्जाने के आरोप पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि अमर्त्य सेन का अपमान किया जा रहा है. बीजेपी अमर्त्य सेन और बंगाल की विभूतियों का अपमान कर रही है. अमर्त्य सेन का अपमान करने वालों को क्षमा मांगनी होगी. 29 दिसंबर को बोलपुर में उनके जुलूस में अमर्त्य सेन पर आरोप लगाने के लिए माफी मांगने की मांग की जाएगी.

बता दें कि विश्वभारती विश्वविद्यालय ने एक लिस्ट जारी की गई है, जिसमें गैर-कानूनी ढंग से जमीन कब्जाने वालों के नामों का खुलासा किया गया है. इसमें अमर्त्य सेन का नाम भी शामिल है. प्रोफेसर सेन के मामले में यूनिवर्सिटी ने कहा कि विश्व भारती की ओर से सेन के दिवंगत पिता को कानूनी तौर पर लीज़ पर दी गई 125 डेसीमल जमीन के अलावा 13 डेसीमल जमीन पर भी उनका अनधिकृत कब्जा है.
ममता बनर्जी ने कहा, “अमर्त्य सेन बंगाल के गौरव हैं. रविंद्रनाथ टैगोर, अभिजीत विनायक, अमर्त्य सेन, मदर टेरेसा ने नोबेल पुरस्कार दिलवाया है. आप क्या विश्वास करते हैं. ऐसा कभी होगा कि शांतिनिकेतन में जमीन दखल करेंगे? उनका परिवार 70-80 साल से बोलपुर में रह रहा है. इतने दिनों तक वे कहां थे, चूंकि अमर्त्य सेन बीजेपी के खिलाफ हैं, लेकिन उन्हें अमर्त्य सेन को असम्मान करने का अधिकार नहीं है. मैं अमर्त्य सेन को अपमानित करने के लिए क्षमा चाहती हूं.”
ममता बनर्जी ने कहा, “हमारा दुर्भाग्य है कि कुकत्थ, असत्य, अर्द्धनग्न भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है. मुझ पर आघात करते-करते अब बंगाल के विभूतियों का भी अपमान कर रहे हैं. कह रहे हैं कि रविंद्र नाथ का जन्म शांतिनिकेतन में हुआ था. बंगाल के इतिहास को भूलाना चाहते हैं. बंगाल का अर्थ है विश्व बांग्ला है. आज जहां जाएं, वहां बंगाल के लोग मिलेंगे. बंगाल को बाद देकर पृथ्वी नहीं चलती है. जो बंगाल को अपमान कर रहे हैं. उन्हें क्षमा मांगनी होगी.” उन्होंने बुद्धिजीवियों से अह्वान करते हुए कहा कि वे इसके खिलाफ एकजुट हों. वह प्रत्येक इंच-इंच का जवाब देंगी. बिना जवाब का एक इंच नहीं छोड़ेंगी.
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