बिहार विधानमंडल के एक दिवसीय विशेष सत्र में संसदीय व्यवस्था में SC/ST को आरक्षण दिए जाने के प्रस्ताव की मंजूरी के बाद विधानसभा में जारी चर्चा के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की उस बात पर अपनी भी सहमति जताई , जिसमें तेजस्वी ने कहा कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए और इसके लिए भी विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। सीएम ने भी कहा कि मैं भी इसके पक्ष में हूं कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए।
इसके बाद सीएम नीतीश ने फिर से दो टूक कहा कि जब बिहार में एनआरसी लागू होने का कोई सवाल ही नहीं होता तो इसे लेकर बेवजह का हंगामा क्यों हो रहा है? नीतीश ने कहा कि एनआरसी का मुद्दा सिर्फ असम के परिप्रेक्ष्य में है और इसे पीएम नरेंद्र मोदी भी स्पष्ट कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि एक बार जातीय आधारित जनगणना होनी ही चाहिए। 1930 में आखिरी बार जातीय आधारित जनगणना हुई थी और उसके बाद 2010 में जनगणना के साथ ही जातियों की भी गणना की मांग उठी थी। एेसे में धर्म के आधार पर तो जनगणना हो जाती है लेकिन जातियों के बारे में तथ्य सामने नहीं आ पाते। नीतीश कुमार ने कहा कि हम केंद्र सरकार को अपनी राय देंगे। जातीय आधारित जनगणना में किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
इससे पहले विधानमंडल के विशेष सत्र के शुरू होने के पहले से ही नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर सोमवार को विपक्ष ने पटना में विधानसभा के बाहर जमकर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की।
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जदयू में ही विवाद चल रहा है। इसे लेकर पहले ही जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर बयान दिया था। इसके बाद रविवार को भी प्रशांत किशोर ने नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तारीफ की। इसके बाद से कई तरह की सियासी अटकलें भी लगाई जा रही हैं।
लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार ये दावा करते रहे हैं कि बिहार में एनआरसी लागू नहीं होगा। बार-बार वो सफाई दे रहे हैं कि एनआरसी का मुद्दा सिर्फ असम से जुड़ा है। पीएम नरेंद्र मोदी भी इस बारे में स्पष्ट कर चुके हैं।