दरअसल लोकसभा चुनाव में काफी खींचतान के बाद दोनों दल बराबर सीटों पर लडने पर राजी हुए थे। भाजपा की कोशिश होगी कि विधानसभा चुनाव में भी इसी फार्मूले को अमलीजामा पहनाया जाए। इस फार्मूले के तहत अगर विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जदयू से अधिक सीटें जीत ली तो भाजपा बड़े भाई की भूमिका में आ जाएगी। ऐसे में भाजपा की अगुवाई में सरकार बनाने की संभावना भी बनेगी। जदयू ऐसी स्थिति आने नहीं देना चाहती।
यही कारण है कि भाजपा पर हमला बोलने से पहले जदयू ने झारखंड के चुनाव नतीजे का इंतजार किया। राज्य में पार्टी ही हार के बाद भाजपा पर सबसे अधिक हमले जदयू की ओर से किए गए। जदयू ने भाजपा को दिवंगत पीएम वाजपेयी से गठबंधन धर्म सीखने की नसीहत दी। राजग में संवादहीनता होने और भाजपा नेतृत्व द्वारा मनमानी करने के आरोप लगाए। इसके बाद प्रशांत किशोर ने राज्य में जदयू की भाजपा से अधिक सीटों पर दावेदारी जताई।
यह है समीकरण