बिहार में कुछ दिनों के लिए भारतीय जनता पार्टी राज्य का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन गई थी। तब भाजपा बिहार की सरकार में भी शामिल थी। लेकिन, राज्य के दूसरे सबसे बड़े दल राजद ने जल्दी ही बाजी पलट दी। बिहार विधानसभा में राजद की सदस्य संख्या फिर सर्वाधिक हो गई और सरकार में भी हालात बदल गए। अब भाजपा के सामने एक मौका और दो विकल्प हैं।

गोपालगंज और मोकामा में हो रहा उप चुनाव
भाजपा के पास अब मौका है कि वह कम से कम एक मामले में राजद की बराबरी कर सकती है। अगर इस मौके पर भाजपा पहला विकल्प नहीं हासिल कर पाती है, तो राजद और भाजपा के बीच ताकत का फासला और बढ़ेगा। दरअसल, बिहार विधानसभा की दो सीटों मोकामा और गोपालगंज के लिए उप चुनाव हो रहा है। इन दोनों सीटों पर राजद और भाजपा के बीच सीधी भिड़ंत होनी तय है।
.jpg)
भाजपा के पास राजद की बराबरी का मौका
फिलहाल बिहार विधानसभा में सबसे बड़ा दल राजद है, जिसके पास 78 विधायक हैं। 76 विधायकों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर है। हाल में ही राजद के दो विधायकों मोकामा से अनंत सिंह और कुढ़नी से अनिल सहनी की सदस्यता कोर्ट से सजा सुनाए जाने के बाद समाप्त हो गई है। इससे पहले राजद के पास 79 विधायक हो गए थे। भाजपा के एक विधायक गोपालगंज के सुबाष सिंह का निधन हो गया था।
.jpg)
दोनों सीटें जीतकर बराबरी कर सकती बीजेपी
भाजपा अगर उप चुनाव की दोनों सीटें जीत जाती है, तो राजद की बराबरी कर सकती है। ऐसी हालत में भाजपा और राजद दोेनों के पास विधानसभा में 78-78 विधायक होंगे। अगर दोनों दल एक-एक सीट जीतते हैं, तो राजद के 79 और भाजपा के 77 विधायक हो जाएंगे। अगर दोनों सीटें राजद जीतता है, तो भाजपा और राजद में चार अंकों का फासला हो जाएगा।
चुनाव के बाद भी तीन दलों की बढ़ी ताकत
बिहार के तीन राजनीतिक दलों की ताकत विधानसभा चुनाव के बाद बढ़ी, तो तीन दलों की कम हुई। मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी के सभी विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। दूसरी तरफ, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के एक विधायक को छोड़कर बाकी चार कुछ महीने पहले राजद में शामिल हो गए थे। बसपा के एक विधायक जदयू में शामिल हुए थे।

गोपालगंज में साधु यादव से भाजपा को आस
गोपालगंज की सीट पिछली बार भाजपा के पास थी। यहां भाजपा को तेजस्वी यादव के मामा साधु यादव से उम्मीद है। साधु यादव की पत्नी इस बार चुनावी मैदान में हैं। पिछली बार खुद साधु यादव थे। साधु यादव का चेहरा गोपालगंज में बड़ा है। इसके चलते राजद उम्मीदवार को नुकसान होता है और भाजपा की राह आसान होती है।
.jpg)
मोकामा का गढ़ फतह करना आसान नहीं
भाजपा के लिए असली चुनौती मोकामा को फतह करना है। यह आसान नहीं है। मोकामा का इलाका बाहुबली नेता अनंत सिंह का गढ़ है। वे यहां कभी निर्दलीय तो कभी जदयू के टिकट पर चुनाव जीतते रहे हैं। पिछली बार अनंत सिंह राजद के टिकट पर इस सीट से चुुुनाव जीते थे। इस बार उनकी पत्नी नीलम सिंह मैदान में हैं। अनंत सिंह के पहले भी यह सीट उनके परिवार के पास रही है।

सूरजभान और ललन सिंह से भाजपा की उम्मीद
मोकामा में भाजपा ने स्थानीय दबंग चेहरा ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी को उम्मीदवार बनाया है। ललन सिंह और उनकी पत्नी सोनम देवी छोटे राजनीतिक दलों से पहले भी चुनाव लड़ती रही हैं और अनंत सिंह को कड़ी टक्कर भी दी है। इस बार सोनम भाजपा जैसी बड़ी पार्टी का उम्मीदवार हैं। उनको लोजपा नेता सूरजभान सिंह के समर्थन से भी जीत की उम्मीद है।

उप चुुुुनाव के नतीजों का पड़ेगा असर
बिहार में हालिया राजनीतिक बदलाव के बाद हो रहे पहले उप चुनावों के परिणाम का असर राज्य के प्रमुख राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पड़ेगा। इस उप चुनाव से ठीक पहले भाजपा और जदयू का साथ छूटा है। राजद और जदयू का साथ जुटा है। उप चुनाव के नतीजे 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर संबंधित दलों की रणनीति को भी प्रभावित कर सकते हैं।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal