बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के अंतर्गत छपरा विधानसभा सीट से भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के टिकट पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इससे राजग गठबंधन, विशेषकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दलों में खलबली मच गई है। हालांकि, गुरुवार देर शाम तक उनकी पत्नी चंदा देवी के नाम की चर्चा थी। राजद ने उन्हें सिंबल भी दे दिया था। इस कारण अंततः देर रात राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने खेसारी लाल यादव को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित करते हुए उन्हें चुनाव चिन्ह (सिंबल) सौंप दिया। खेसारी लाल यादव अब शुक्रवार को नामांकन पत्र दाखिल करेंगे।
राजद की ओर से अधिकृत प्रत्याशी बनाए जाने के बाद खेसारी लाल यादव ने कहा कि वे लालू प्रसाद यादव की विचारधारा और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों से प्रभावित होकर राजनीति में आए हैं। उन्होंने कहा कि छपरा सहित सारण जिले की जनता ने हमेशा उन्हें भरपूर स्नेह दिया है और अब वह इस स्नेह को विकास के रूप में लौटाना चाहते हैं। खेसारी ने कहा कि मेरे लिए राजनीति शोहरत पाने का जरिया नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम है। मेरा उद्देश्य है कि छपरा सहित पूरे बिहार में बदलाव लाया जाए और इसी उद्देश्य के साथ हम चुनावी मैदान में उतरे हैं।
इसी कारण चंदा देवी इस बार नहीं लड़ पाईं चुनाव
बीते 15 दिनों से खेसारी लाल यादव की उम्मीदवारी को लेकर अटकलें लगाई जा रही थी। पहले उनकी पत्नी चंदा देवी का नाम संभावित प्रत्याशी के रूप में सामने आया था। लेकिन, जब ‘अमर उजाला’ की टीम ने एकमा विधानसभा क्षेत्र के रसूलपुर थाना अंतर्गत बुनियादी विद्यालय रसूलपुर के मतदान केंद्र संख्या-137 पर जाकर तहकीकात की, तो वहां के बूथ लेवल अधिकारी (BLO) ने बताया कि चंदा देवी का नाम मतदाता सूची में नहीं है। उन्होंने ऑनलाइन आवेदन देकर नाम जुड़वाने का प्रयास किया था, जिसे बीएलओ ने सत्यापित भी कर दिया था। आवेदन देर से होने के कारण उनका नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल नहीं हो सका। इसी कारण वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो गईं।
पंचायत चुनाव में अपनी भाभी को उतारा था
बता दें कि एकमा विधानसभा क्षेत्र के रसूलपुर थाना अंतर्गत धानाडीह गांव निवासी मंगरू प्रसाद यादव के पुत्र खेसारी लाल यादव ने संघर्ष के बलबूते फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है। बावजूद इसके, वह अपनी मिट्टी और समाज से गहरा जुड़ाव बनाए हुए हैं। पहले भी उन्होंने पंचायत चुनाव में अपनी भाभी को रसूलपुर पंचायत से मुखिया पद के लिए मैदान में उतारा था, हालांकि वे चुनाव हार गई थीं। फिर भी खेसारी लाल ने ग्रामीणों से जुड़ाव बनाए रखा और सेवा कार्यों में सक्रिय रहे। सेवा भाव और जनसंपर्क की मजबूत नींव देखकर राजद ने उन्हें छपरा से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है।