मौसम विभाग ने वर्ष 2024 में भारत के बड़े हिस्सों में सामान्य से ज्यादा गर्मी पड़ने का अंदेशा जताया है। इस सूचना के बाद बिजली मंत्रालय ने भी पूरे देश में बिजली सेक्टर को तैयार करने को लेकर रणनीति बनानी शुरू कर दी है। केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें देश के सभी बिजली संयंत्रों की स्थिति की समीक्षा की गई।
खास तौर पर उन बिजली संयंत्रों की समीक्षा की गई जिन पर बिजली की मांग का असर ज्यादा पड़ने की संभावना है। बिजली मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि इस बैठक में 5200 मेगावाट क्षमता के ऐसे ताप बिजली संयंत्रों की समीक्षा की गई है जिनमें अभी उत्पादन नहीं हो रहा है। इन संयंत्रों को तैयार करने का निर्देश दिया गया है ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल उत्पादन शुरू किया जा सके।
बिजली संयंत्रों के रख-रखाव को चरणबद्ध तरीके से करने का निर्देश
बिजली संयंत्रों के रख-रखाव के काम को चरणबद्ध तरीके से करने का निर्देश दिया गया है। अप्रैल माह में सिर्फ 1700 मेगावाट क्षमता के संयंत्रों का मेंनेटेंनेंस होगा। जबकि जून महीने में 6,000 से 9,000 मेगावाट क्षमता के संयंत्रों का रख-रखाव का काम होगा। यह इसलिए किया गया है कि एक साथ कम क्षमता के संयंत्रों को ही रख-रखाव के लिए बंद किया जाए।
तकरीबन 25 हजार मेगावाट क्षमता के बिजली संयंत्र बंद
देश में तकरीबन 25 हजार मेगावाट क्षमता की गैस आधारित बिजली संयंत्र गैस की कमी की वजह से बंद हैं। इसकी भी समीक्षा की गई। मंत्रालय इस बात पर विचार कर रहा है कि इन संयंत्रों को चालू करने के लिए बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 11 का इस्तेमाल हो सकता है या नहीं। इस धारा के तहत सरकार के निर्देश के मुताबिक बिजली संयंत्रों को काम करना होगा।
2023-24 में बिजली की पीक आवर में मांग 2.43 लाख मेगावाट
सनद रहे कि पहले ही आयातित कोयले वाली बिजली संयंत्रों पर लागू है। इनके लिए धारा 11 को 30 सितंबर, 2024 तक जारी रखने का फैसला किया गया है। सनद रहे कि मौसम विभाग का कहना है कि इस बार देश के अधिकांश हिस्से में भयंकर गर्मी पड़ने वाली है। वर्ष 2023-24 में देश में बिजली की पीक आवर मांग 12.7 फीसद की वृद्धि के साथ 2,43,271 मेगावाट हो गई है। इसके पिछले वित्त वर्ष में बिजली की मांग 7.5 फीसद बढ़ी थी।