बाल विवाह पर हरियाणा सरकार ने चलाया चाबुक अब शारीरिक संबंधों को दुष्कर्म माना जाएगा

हरियाणा में बाल विवाह रोकने के लिए मौजूदा कानून और कड़ा कर दिया गया है। बाल विवाह के बाद बालिका और उसके पति के बीच शारीरिक संबंधों को अब दुष्कर्म माना जाएगा और दंडित अपराध की श्रेणी में आने के कारण सजा मिलेगी। लड़के पर पॉक्सो एक्ट और आईपीसी के तहत कार्रवाई की जाएगी। हरियाणा में औसतन रोजाना एक बाल विवाह हो रहा है।

हरियाणा सरकार ने इस पर अंकुश लगाने के लिए बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 की धारा तीन में संशोधन कर दिया है। मंगलवार को विधानसभा में बाल विवाह निषेध अधिनियम हरियाणा संशोधन विधेयक, 2020 सर्व सम्मति से पारित कर दिया गया।

संशोधन के बाद अस्तित्व में आया कानून गजट अधिसूचना के साथ ही प्रदेश में लागू हो जाएगा। हरियाणा की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कमलेश ढांडा ने संशोधन विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने ध्वनिमत से पारित कराया। हरियाणा सरकार ने कर्नाटक विधानमंडल के निर्णय व संशोधन को अपनाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों की विधानसभा को इसे अपनाने की सलाह दी थी। धारा-375 के तहत पुरुष और उसकी पत्नी के 15 से 18 के बीच होने पर शारीरिक संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं है।

लेकिन, पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के प्रावधान अनुसार इसे दुष्कर्म माना गया है। इसलिए सरकार ने धारा-375 का निष्प्रभावी करने के लिए बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 को संशोधित किया है।

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