अयोध्या में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा बड़े ही धूमधाम से संपन्न हुई। अनुष्ठान संपन्न होने के बाद मंदिर को अतिथियों के दर्शन के लिए खोला गया है। सबसे पहले संतों को दर्शन का अवसर मिला है। संत जन लाइन में लगकर गर्भगृह में अपने आराध्य को दर्शन कर रहे हैं।
नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर में श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का समारोह संपन्न हुआ। इसके बाद पीएम मोदी, सीएम योगी और संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपना संबोधन दिया। तत्पश्चात मंदिर को आए हुए अतिथियों के दर्शन के लिए खोल दिया गया। इस कड़ी में सबसे पहले संतों को रामलला के दर्शन का अवसर दिया गया।
रामलला के दर्शन करने के बाद बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि राम राज्य आ गया है, भारत का त्रेता युग शुरू हो गया है।
बताते चलें कि इस शुभ समारोह में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री तय समय पर अयोध्या पहुंच गए। इससे पहले पीएम ने एक्स पर लिखा, “अयोध्या धाम में श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का दिव्य क्षण हर किसी के लिए भावनात्मक क्षण है। इस अनूठे कार्यक्रम का हिस्सा बनना मेरा सौभाग्य है। जय सियाराम।”
मंदिर के गर्भगृह में आयोजित समारोह में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल रहे। भव्य मंदिर में समारोह के लिए 8,000 से अधिक मेहमानों को आमंत्रित किया गया। मंदिर का निर्माण पारंपरिक नागर शैली में किया गया है। इसकी लंबाई (पूर्व-पश्चिम) 380 फीट है; चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट है। इसमें कुल 392 स्तंभों और 44 दरवाजें है।
मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं और देवियों के जटिल चित्रण प्रदर्शित किए गए हैं। भूतल पर मुख्य गर्भगृह में भगवान श्री राम के बचपन के स्वरूप (श्री रामलला की मूर्ति) को रखा गया है। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वी दिशा में स्थित है। जहां सिंह द्वार के माध्यम से 32 सीढ़ियां चढ़कर पहुंचा जा सकता है।
मंदिर में कुल पांच मंडप (हॉल) हैं। इसमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप शामिल हैं। मंदिर के पास प्राचीन काल का एक ऐतिहासिक कुआं (सीता कूप) है। मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में, कुबेर टीला में, भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। साथ ही जटायु की एक मूर्ति भी स्थापित की गई है।